. अाकाशगंगा को लता तथा चंद्रमा को ( श्राकाश ) पुष्प माना है जो बिना प्राधार ( वृक्ष का तना ) के श्राकाश में रहता है। ( २ ) जब थोड़े प्रारंभ की फलसिद्धि बहुत हो । जैसे, नेत्रों ने तुम्हें देखते ही कल्पवृक्ष को देख लिया। केवल दानी या नायिका को देखने से प्रारंभ हुश्रा पर उससे कल्पवृक्ष देख लेने से फलसिद्धि का महत्व बहुत बढ़ गया । ( ३) एक ही वस्तु का भनेक स्थानों पर होना वर्णित हो । जैसे, वही सुखदायक स्त्रो मेरे हृदय में, बाहर और दसों दिशाओं में ( वास करती ) है । प्रेमी कहता है कि उसे यही मालूम होता है कि उसकी प्रेयसी सब स्थानों में है। १३५-३६-व्याघात दो प्रकार का होता है (१) जब किसी से ( जिससे कोई ज्ञात कार्य होता है) विपरीत कार्य का होना दिखलाया जाय । जैसे, जिससे ( फूलों से ) संसार को सुख मिलता है उसी से कामदेव मारता है कामदेव के बाण फूलों के बने हुए प्रसिद्ध हैं । (२) जब किसी तर्क को उल्टा कर उसके विरुद्ध पक्ष की क्रिया का समर्थन किया जाय । जैसे, यदि आप निश्चयतः हमें बालक समझते हैं तब क्यों छोड़ जाते हैं किसी ने अपने पुत्र को उसके बालक होने का बहाना कर साथ लिवा जाने से रोका तब वह उसो तर्क को उबट कर अपने पक्ष के समर्थन में पेश करता है। १३७ ...-किसी कारण से उत्पन्न कार्य जब अन्य कार्य का कारण बतलाया जाय और क्रमशः इस प्रकार दो या दो से अधिक कारण हो । जैसे, नीति से धन, धन से त्याग और त्याग से यश की प्राप्ति होती है। कारणमाला को गुंफ भी कहते हैं । - . .
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