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हाव


शब्दार्थ—उन्हारि—नक्ल, अनुकरण।

भावार्थ—जहाँ कौतुकवश प्रिया अपने पति का भेष धारण कर उससे परिहास करे वहाँ लीला हाव कहलाता है।

उदाहरण
सवैया

कालि भटू बनसीबट के तट, खेल बड़ो इक राधिका कीन्हो।
सांझनि कुजनि मांझ बजायो, जु श्याम को बेनु चुराइ कै लीन्हो॥
दूरि तें दौरत 'देव' गए, सुनि के धुनि रोसु महाचित चीन्हो।
सग की औरै उठी हँसि के तब, हेरि हरे हरि जू हँसि दींन्हो॥

शब्दार्थ—बेनु—वंशी। चुराइकै लीन्हो—चुरा लिया। रोसु—क्रोध। संग....औरैं—साथ की अन्य सखियाँ।

२—विलास
दोहा

प्रिय दरसनु सुमिरनु श्रवनु, जहँ अभिलाख प्रकाश।
बदन मगन नयनादिकौ, जो विशेष सुविलास॥

शब्दार्थ—सरल है।

भावार्थ—अपने पति अथवा प्रेमी के दर्शन, स्मरण अथवा उसका समाचार मिलने पर, हृदयगत आनन्द के कारण जो मुँह, नयनादि से प्रसन्नता सूचक जो चेष्टाएँ प्रकट होती है उन्हें विलास कहते हैं।

उदाहरण
सवैया

आजु अटा चढ़ि आई घटानु मैं, बिज्जु छटासी बधू बनि कोऊ।
देव त्रिया कविदेवन केतिये, एतौ हुलास विलास न वोऊ॥