उदाहरण
सवैया
तादिन ते अति व्याकुल है तिय, जा दिन ते पिय पन्थ सिधारे।
भूख न प्यास बिना ब्रजभूषन, भामिनि भूषन भेष बिसारे॥
पावत पीर नहीं कविदेव, रोरिक मूरि सबै फरि हारे।
नारी निहारि निहारि चले, तजि बैद बिचारि बिचारि बिचारे॥
शब्दार्थ—तादिन ते—उस दिन से। जादिन ते जिस दिन से। भूख......ब्रजभूषन—बिना श्रीकृष्ण के भूख प्यास सब भूल गयी। भामिनि.....बिसारे—गहने आदि पहनना भी छोड़ दिया। मूरि—औषधि। पावत.....हारे—करोड़ों दवाइयाँ कर छोड़ी परन्तु व्याधि नहीं जाती। नारी—नाड़ी। नारी....बिचारे—बेचारे वैद्य नाड़ी देख देख कर उसे छोड़ कर चलदेते हैं।
३०—उन्माद
दोहा
प्रिय वियोग तें जहँ वृथा, वचनन लाय विखाद।
बिन बिचार आचार जहँ, सो कहिये उन्माद॥
शब्दार्थ—विखाद—विषाद दुःख।
भावार्थ—अपने प्यारे के विरह के कारण बिना विचारे चाहे जो कुछ कहने को उन्माद कहते हैं।
उदाहरण
सवैया
अरिकै वह आज अकेली गई, सरि के हरि के गुन रूप लुही।
उनहू अपनों पहिराय हरा, मुसकाइ के गाइ के गाय दुही॥