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भाव-विलास

 

उदाहरण

सोवत तें सखी जान्यो नहीं, वह सोवत ते घर आयौ हमारे।
पीत पटी कटि सों लपिटी, अरु सांवरो सुन्दर रूप सँवारे॥
'देव' अबै लगि आंखिन तें, वह बांकी चितौनि टरै नहिं टारे।
सापने में चित चोरि लियो, वह मोर-री मोर-पखौवन वारे॥

शब्दार्थ—पीतपटी—पीताम्बर। कटि—कमर। अभै लगि—अब-तक। चितौनि—चितवनि। टरै नहीं टारे—टाले नहीं टलती। सापने—स्वाप्न में। मोरपखौवन वारे—मोरपक्ष वाले श्रीकृष्ण।

२२—अपस्मार
दोहा

अधिक दुःख अतिभय असुचि, सूने ठौर निवास।
अपस्मार जहँ भूपतन, कम्प, फैन मुख स्वांस॥

शब्दार्थ—सूने—एकान्त।

भावार्थ—अधिक दुःख भय आदि के कारण शरीर में कंप होने तथा मुँह से फेन गिरने और लम्बी लम्बी सांसे भरने की अवस्था को अपस्मार कहते हैं।

उदाहरण
सवैया

मोहन भाई चले मथुरा, तब तें निस बासर बीतत ठाढ़े।
बौरी भईं बृज की बनिता, बहुभांतिन 'देव' वियोग के बाढ़े॥