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भाव-विलास

  शब्दार्थ—मढ़यो—मढ़ा हुआ, सना हुआ। मातौ—उन्मत्त। सिगरो—सब। नैसुक—थोड़ा भी।

२—ग्लानि
दोहा

भूख प्यास अरु सुरत सम, निरबल होय शरीर।
सिथिल होय अवयव सबै, ग्लानि कहत सो धीर॥

शब्दार्थ—सिथिल—शिथिल।

भावार्थ—भूख, प्यास आदि के कारण जब शरीर के समस्त अवयव शिथिल होकर निर्बल पड़ जाते हैं तब उसे ग्लानि कहते हैं।

उदाहरण
सवैया

रंग भरे रति मानत दम्पति, बीत गई रतिआ छिन ही छिन।
प्रीतम प्रात उठें अलसात, चितै चित चाहत धाय गह्यो धन॥
गोरी के गात सबै अँगिरात, जु बात कही न परी सु रही मन।
भौहैं नचाय लचाय के लोचन, चाय रही ललचाय लला मन॥

शब्दार्थ—दम्पति—पति-पत्नी। रतिआ—रात। अलसाय—अलसाते हुए। अंगिरात—अँगड़ाते हैं। चाय रही—देखती रह गयी।

३—संका
दोहा

अपराधादि अनीति करि, कंपै करै छिपाय।
ताही को संका कहैं, सबै कविन के राय॥