उदाहरण
सवैया
बेली लसैं विलसैं नव पल्लव, फूल खिलैं न खिलैं नव कोर।
मोरत मान को गान अलीनि के, कूकि पिकी मुनि कौ मन मोरे॥
डोलत पौन सुगन्ध चलै अरु, मैन के बान सुगन्ध को डोरे।
चंचल नैननि सो तरुनी अरु, नैन कटाछन सों चितु चोरे॥
शब्दार्थ—मोरत मान को—मान का चूर्ण करते है, हटाते हैं। अलीन—भौरे। पौन—हवा। चितु चोरे—मन को चुराती है।
२५—निदर्शना
दोहा
औरै बन्तु बखानिये, फल तब ताहि समान।
जहां दिखाइय और महि, ताहि निदर्शन जान॥
शब्दार्थ—और महि—दूसरे में, अन्य में।
भावार्थ—जब किसी वस्तु का वर्णन करते समय उसका फल उसीके समान किसी अन्य वस्तु में दिखलाया जाय तब निदर्शना अलंकार होता हैं।
उदाहरण
सवैया
देखिबे को जिनको दिन राति, रहै उर में अति आतुर ह्वै हरि।
कोटि उपाइन पाइये जे न, रहे जिनके बिरहज्वर सों जरि॥
पार न पैयतु आनद कौ तिन, आनि भटू उठि भेटें भुजा भरि।
जानी परै नहिं देव दया, बिप देत मिली बिपया जु मया करि॥
शब्दार्थ—कोटि—करोड़ों।