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नायिका-वर्णन


शब्दार्थ—धाइ—धाय। सिल्पनी—दस्तकारिन।

भावार्थ—धाग, सखी, दासी, नटी, ग्वालिनी, दस्तकारिन, मालिन, नाइन, कन्या, विधवा, संन्यासिन, भिखारिन, और अपने किसी संबन्धी की स्त्री, ये स्त्रियाँ दूतपने (प्रेमी से प्रेमिका को मिलाने तथा संदेश आदि कहने) का कार्य अच्छा कर सकती है।

उदाहरण
कवित्त

देव जू की दूती वृषभानजू के भौंन जाइ,
राधिका बुलाइ बहु वातनि खिलाइ के।
हास रस सानी दुरि आङ्गन ते द्वार आनी।
हित को कहानी कहि, हिय सो हिलाइ कें॥
हरें हँसि कह्यो कैसे, सहौधों पर तुम्हे,
है जैहै नदनन्दु तौ बियोग सी बिलाइ कें।
बिरह बढ़ाइ, प्रेम पद्धति पढ़ाइ चित्त,
चोपहि चढ़ाइ दीनी मोहने मिला कें॥

शब्दार्थ—भौन—घर। सानी—पगी हुई। हिलाइ कें—मेल करके।