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नायिका वर्णन

 

अधमा
दोहा

बिनु दोषहि रूठै तजै, बिना मनाये मानु।
जाको रिस रस हेतु बिन, अधमा ताहि बखानु॥

शब्दार्थ—रूठै—क्रोधित हो।

भावार्थ—जो नायिका बिना किसी दोष के अपने पति से रूठे और बिना किसी कारण के क्रोध करे उसे अधमा नायिका कहते हैं।

उदाहरण
सवैया

आजु रिसोंही न सोहीं चितौति, कितौ न सखी प्रति प्रीति बढ़ावै।
पीठि दै बैठी अमैठी सी ठोठि कै, कोइन कोप की ओप कढ़ावै॥
नाह सो नेह कौ तातौ न नैक, ज ऊपर पाइ प्रतीति बढ़ावै।
तीर से तानि तिरीछी कटाच्छ, कमान सी भामिन भौहै चढ़ावै॥

शब्दार्थ—सोही—सामने। कोइन—आँख के कोए। ओप—आभा। तीर से—बाणों के सदृश। कमानसी—धनुष के समान।

सखी-भेद
दोहा

बहु विनोद भूषन रचै, करै जु चित्त प्रसन्न।
प्रियहि मिलावै उपदिसै, रहै सदा आसन्न॥
पति कों देइ उराहनो, करै बिरह अस्वास।
ऐसी सखी बखानिये, जाके जी बिस्वास॥