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नायक नायिका विचार
शब्दार्थ—जिय–हृदय, मन। मनभावन–पति, प्यारा। चितौनिन–चितवनि। चंचलनैनी–चंचल नेत्रवाली।
३—शठ
दोहा
आगे आपनु ह्वै रहै, पीछे करै चबाव।
दोष भरौ कपटी कुटिल, सठ को यही सुभाव॥
शब्दार्थ—आपनु–अपना। चबाव–निंदा।
भावार्थ—छल कपट से अपने कार्य को साधनेवाला तथा मुँह पर चिकनी-चुपड़ी कहकर, पीछे चबाव करनेवाला नायक सठ कहलाता है।
उदाहरण
सवैया
राति रहै रति मानि कहूँ, अरु दोष भरो नित ही इत आवै।
जो कहिये कि कहा है कहौ, तब झूठी हजारुक बातें बनावै॥
और सी और के आगे कहे, कवि देवजू मेरी सी मोहि सुनावै।
या सठ कों हटको न भटू, उठि भोर की वार किवार खुलावै॥
शब्दार्थ—हजारुक-हजार तरह की, अनेक। और...सुनावै।–दूसरों के आगे उनको अच्छी लगनेवाली और मेरे आगे मुझे अच्छी लगनेवाली बातें कहता है। हटको–मना करो। भटू–सखी। भोर की वार–सुबह के वक्त, प्रातःकाल। किवार–किवाड़।