पृष्ठ:भारत में इस्लाम.djvu/८५

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अपरिमित धन और असंख्य क़ैदी लेकर स्वदेश को लौट गया। उसके साथ ही पठानों की शक्ति भी धूल में मिल गयी और शासन सैयदों के हाथ आया---परन्तु इनका शासन दिल्ली के आस-पास था। चारों ओर छोटे-छोटे मुस्लिम राज्य बन गये थे। इन्होंने सैंतीस वर्ष राज्य किया। अब लोदी वंश आया। परन्तु पठानों के जुल्म तो उसी भाँति चल रहे थे। सिकन्दर लोदी मन्दिरों और मूर्तियाँ तोड़ने और हिन्दू तीर्थों और गंगायात्रा को रोकने में लगा हुआ था। एक ब्राह्मण को हिन्दू धर्म को श्रेष्ठता का उपदेश देने के कारण पकड़वा मँगवाया गया और अपना उपदेश लौटाने को कहा गया, पर उसने जब स्वीकर न किया तो उसका सिर कटवा लिया गया।"

तुजक तैमूरी में लिखा है कि प्रत्येक सिपाही के हिस्से में पन्द्रह हिन्दू आये थे। जो क़त्ल कर दिये गये। इस प्रकार दिल्ली में तेरह लाख अस्सी हज़ार हिन्दू क़त्ल किये गये!

इस कार्य को करके उसने जमीन में गिरकर ईश्वर को धन्यवाद दिया कि जिस काम के लिये वह हिन्दुस्तान आया था वह काम पूरा हुआ।

इस विजय के बाद वह क़ाबुल लौट गया। अब वह बेशुमार धन का स्वामी और महान् वैभव का अधिकारी था। इतिहासकार कहते हैं कि कोई आदमी इसकी वीरता और सम्पत्ति का अनुमान नहीं कर सकता था। यह आठ साल तक सेनाओं को पेशगी तनखाह देता रहा। और चौबीस साल दो मास दो दिन शासन करने के बाद मृत्यु को प्राप्त हुआ और क़ाबुल में दफ़ना दिया गया।

तैमूर के बाद उसका पुत्र सुल्तान मीराशाह क़ाबुल की गद्दी पर बैठा इसकी सारी शक्तियाँ सुल्तान काशगर से युद्ध करने में खर्च होती रहीं। इसने उन्नीस वर्ष तक राज्य किया। इसके बाद इसका पुत्र सुल्तान अबू सईद गद्दी पर बैठा। यह निष्ठुर और ऐयाश था---इससे नाराज़ होकर सरदारों ने इसे मार डालने का इरादा किया, पर यह भाग गया। तब उन्होंने इसके छोटे भाई को गद्दी पर बैठाया। उसने गद्दी पर बैठते ही अपने तमाम सरदारों को क़त्ल करने का हुक्म दे दिया। इस पर सरदार बड़े घबराये और उसे गद्दी से उतार फिर बड़े भाई को गद्दी पर बैठाया। इसके बाद इसका बड़ा पुत्र सुल्तान