पृष्ठ:भारत में इस्लाम.djvu/८३

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
७४
 

घोड़ों का स्वामी था तथा अपने इलाके में दबदबे वाला आदमी था। इस की एक अति सुन्दरी पुत्री थी जिसे बड़े-बड़े बादशाह माँगते थे। जिनमें तुर्किस्तान का बादशाह भी था। पर वह कहीं भी शादी करने को राजी न थी। इसे गुप-चुप गर्भ रह गया, यह जान कर पिता को अत्यन्त क्रोध हुआ, परन्तु कन्या ने कहा---पिता क्रोध न करो---यदि इस रहस्य को जानना है तो प्रातःकाल मेरे कमरे में आइये। पिता ने प्रातःकाल जाकर देखा तो सूर्य की एक किरण कमरे में खेलती पाई गई और देखते-देखते गायब हो गई, तब से पिता को निश्चय हो गया कि कन्या सूर्य से गर्भवती है और उस गर्भ से तैमूर का जन्म हुआ है। वह अपने को सूर्य का पुत्र कहता था और इसी कारण मुग़ल बादशाह और शहज़ादे अपने झण्डे पर सूर्य का चिह्न लगाते थे। उसके जन्म पर ज्योतिषियों ने कहा कि यह अनेक राजों को विजय करेगा।

बचपन से ही उसने सेना भर्ती की और आसपास के इलाकों पर कब्जा करना शुरू कर दिया। शीघ्र ही सुलतान मुहम्मद के सारे इलाके को कब्जे में कर लिया और अन्त में सुलतान का भी पकड़ कर मार डाला। कुछ दिन बाद काबुल के बादशाह को क़त्ल कर उस पर भी क़ब्जा कर लिया।

अब उसने भारत की ओर मुँह फेरा।

पहले उसने कुरआन शरीफ़ से शकुन लिया। उसको खोलकर नियत स्थान पर पढ़ा गया तो लिखा था•••"ऐ पैग़म्बर काफिर और मूर्तिपूजकों के साथ युद्ध करके उन्हें क़त्ल कर।" इसके बाद उसके दो हज़ार सवार अपने सामने बुलाये और कहा---आप जानते हैं कि हिन्दुस्तान के आदमी मूर्ति और सूर्य की पूजा करने वाले काफिर हैं। ख़ुदा और रसूले ख़ुदा का हुक्म है कि ऐसे काफिरों को क़त्ल करें। मेरा इरादा हिन्दुस्तान पर जहाद की चढ़ाई करने का है। इस पर सब लोग 'आमीन अल्ला' चिल्ला उठे। तब अवसर पा तैमूर ने सन् १३८९ ई० में भारत की ओर बाग माड़ी।

चौदहवीं शताब्दी पठानों के स्वच्छन्द अत्याचारों से भरपूर व्यतीत हुई थी, तभी मध्य एशिया का यह प्रसिद्ध लंगड़ा तैमूर असंख्य तातारी भेड़ियों को लेकर भारत पर चढ़ आया। उसके साथ ९२ हजार सवार थे।