पृष्ठ:भारत में इस्लाम.djvu/८२

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म़ुगल और तैमूर लंगड़ा

ईसा की तेरहवीं शताब्दी के प्रारम्भ से 'चंगेजखाँ' ने पूर्वीय एशिया से निकल कर उत्तरी चीन तथा तातार और अधिकांश एशिया को विजय कर लिया था। सन् १२२७ में चंगेज़ खाँ की मृत्यु हुई। दूसरे ९८ वर्ष के अन्दर चंगेज़ खाँ के उत्तराधिकारियों ने भारत को छोड़ कर लगभग शेष समस्त एशिया और योरोप के एक बड़े भाग को मुग़ल साम्राज्य में मिला लिया। योरोप पर यह हमला सन् १२३८ में हुआ। योरोपियन इतिहास लेखकों का कहना है कि इससे पूर्व ईसा की आठवीं शताब्दी में जब अरबों ने यूरोप पर आक्रमण किया था, उस समय से इस आक्रमण तक और कोई भयङ्कर आपत्ति यूरोप पर नहीं आई थी। कुछ ही वर्षों में समस्त रूस, पोलैण्ड, वलकन, हंगेरी, यहाँ तक कि बाल्टिक समुद्र और पश्चिम में जर्मन तक आधे से अधिक योरोप मुग़लों के आधीन हो गया। रूस पर दो सौ वर्ष तक मुग़लों का अधिकार रहा। ये मुग़ल बौद्ध धर्मानुयायी थे। स्वयं चंगेज़ ख़ाँ बौद्ध था। और मंगोलिया के प्राचीन मूर्ति-पूजक धर्म को भी मानता था। इन्हीं बौद्ध मुग़लों ने एशिया और योरोप को अधिकांश में विजय किया। इन्होंने मुस्लिम ईरान और मुस्लिम ईराक़ को फ़तह किया था। इसके बाद चंगेज़ खाँ के पौत्र हलाकू ने पराजित ईरानियों और अरबों से इस्लाम मत ग्रहण किया।

तैमूर लंगड़ा

इस नाम का चग़ताई ख़ानदान और तातारी नस्ल का एक मुसलमान था जो कुछ गांवों पर अधिकार रखता था और बहुत से रेबड़ों, ऊँटों और

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