थूकना किसी बुरी भावना से नहीं सिर्फ हिन्दुओं की राजभक्ति की परीक्षा के लिये है। केवल इस्लाम की महिमा प्रकट करना और हिन्दू धर्म से अतुलनीय घृणा प्रदर्शन करना ही इसका मुख्य उद्देश्य है। जो किसी प्रकार भी अनुचित नहीं। क्योंकि खुदा ने कहा है कि काफ़िरों को लूटो, उन्हें ग़ुलाम बनाओ और उन्हें क़त्ल कर दो। जो इस्लाम न कबूल करें उनसे जबरन कराओ। हिन्दुओं से निकृष्ट व्यवहार करना हमारा धर्म है, यह मुहम्मद साहब की आज्ञा है। जज़िया लेकर काफ़िरों को छोड़ देना वाहियात है, यह सिर्फ अबहूनीफ़ की राय है, और सबने क़त्ल का हुक्म दिया है।
पाठक सोच सकते हैं कि यह मनोवृत्ति कितनी ज़बरदस्त थी, और इसने किस प्रकार हिन्दुओं को विचलित कर दिया होगा।
इसके बाद तुग़लक़ वंश के छः बादशाहों ने लगभग सौ वर्ष राज्य किया। मुहम्मद तुग़लक़ एक भयानक खूनी आदमी था। वह हज़ारों स्त्री-पुरुष बालकों को एक जगह घिरवाकर उनमें शिकार के शौक से भीतर घुसता था और विविध प्रकार के खेलों से उन्हें क़त्ल करता था। नाक कान काट लेना, आँखें निकलवा लेना, सिर में लोहे की कील ठोकना, आग में जलवाना, खाल खिचवाना, आरे से चिरवाना, हाथी से कुचलवाना, सिंह से फड़वाना, साँप से डसवाना और सूली पर चढ़वाना उसके दण्डों के प्रकार थे।
फिरोजशाह तुगलक ने जब नगरकोट को विजय किया तब गोमांस के टुकड़े तोबड़ों में भरकर हिन्दुओं के गले में लटकवा दिये और बाज़ारों में फिराकर खाने की आज्ञा दी। जिसने इन्कार किया उसी का सिर काट लिया। उसने सुना कि एक ब्राह्मण मुर्तिपूजा करता है और हिन्दुओं को दर्शन के लिये बुलाता है। उसने ब्राह्मण और दर्शक सभी को जिन्दा फूँक देने का हुक्म दे दिया। इसने सैकड़ों मन्दिर विध्वंस कर दिये। जब वह जम्बू गया और वहाँ का राजा भेंट लेकर मिलने आया तो फिरोज़शाह ने उसके मुँह में गोमांस भरवा दिया।
एक पठान बादशाह ने एक हमले में मेवात के एक लाख मनुष्यों को मार डाला था। दूसरे पठान बादशाह ने एक हिन्दू राजा की जीती खाल