१५-काफ़िरों का धन छीन लेना। १६-कपट-युद्ध करना। १७-मूर्ति खण्डन करना। १८-सूअर को हराम समझना। १६-शुक्रवार की खास नमाज़ पढ़ना । २०-अज़ान देना। २१-क़यामत के समय खुदा का न्याय होना। २२-भला-बुरा करने वाला खुदा है । यद्यपि साधारणतया यह समझा जाता है कि मुसलमानों का धर्म ग्रंथ 'कु रानशरीफ़' अरबी भाषा में लिखा गया है। परन्तु अल्लामः जलालुद्दीन सूयूती अपनी पुस्तक 'तफ़सीरे इत्तेकान फी उमिल-कुनि' में लिखते हैं कि कुअनि में चौहत्तर भाषाओं के शब्द पाए जाते हैं। अपने पक्ष के समर्थन में वे अबूबक्रिब्ने अनसारी, इब्ने अवीबक्र अनसारी, सर्हदिदिब्ने मनसूर, अबू- बक्र वास्ति, मुल्ला जलालुद्दीन, सालवी, इब्ने जोजीजर कशी अवूनुर्हम, अबू हातिम, किरमानी, काजी ताजुद्दीन इत्यादि की साक्षी उपस्थित करते हैं। उनके विचार से नीचे लिखी पचहत्तर भाषाएँ कुनि में हैं। (१) कुरेशी, (२) किनानी, (३) हुजैली, (४) खश्अमी, (५) खजरजी, (६) अश्अरी, (७) नमीरी, (८) कैसे गीलावी, (६) ज़रहमी, (१०) यमनी, (११) अजविशनोई, (१२) कन्दी, (१३) तमीमी, (१४) हमीरी, (१५) मधनी, (१६) लहमी, (१७) सादुल अशीरी, (१८) हज़रमूती, (१६) सुदूसी, (२०) अमातकी, (२१) अनमारी, (२२) गस्सानी, (२३) मजहजी (२४) खुजाई, (२५) गतफ़ानी, (२६) सवाई, (२७) अम्मानी, (२८) बनूहनीफ़िया, (२६) सालवी, (३०) तई, (३१) आमरिन्न, (३२) साहसी, (३३) औसी, (३४) मजीनी, (३५) सफीफ़ी, (३६) जुजामी, (३७) वलाई, (३८) अज़ रही, (३६) हवजानी, (४०) अनमरी, (४१) यमानी, (४२) सलीमी, (४३) अम्मारी, (४४) अथएनी, (४५) नसरिब्ने मुआवीय्यी, (४६) अकी, (४७) हज्जाजी, (४८) नवई, (४६) ईसी, (५०) कुजाई, (५१) का विव्ने उम्री, (५२) काविन्ने लवी, (५३) तहारीय्यी, (५४) रबीय्यी, (५५) जव्वती, (५६) तैमी, (५७) रवावी, (५८) आदिब्ने खुजयी, (५६) सादिब्ने वक्री, (६०) हिन्दी, (६१) -
पृष्ठ:भारत में इस्लाम.djvu/५२
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