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दिया। इसी समय यज़ीद के मरने की ख़बर एक सवार ने दी। अब्दुल्ला ने यज़ीद के मरने की घोषणा मस्जिद में कर दी और हसीन ने कहा कि अब किसलिए लड़ते हो सन्धि कर लो। हसीन ने सन्धि की और दमिश्क की ओर चला गया।

यज़ीद के बाद मुआविया दूसरा उसका बेटा गद्दी पर बैठा। उस समय उसकी आयु इक्कीस वर्ष की थी। उसकी दृष्टि बहुत कमज़ोर थी। छ: मास हुकूमत करके उसने गद्दी त्याग दी और मर गया। इसके बाद मखान ख़लीफ़ा बनाया गया। और यह शर्त तै रही कि इसके बाद ख़लीद इब्ने यज़ीद ख़लीफ़ा बनाया जाय। उधर मक्का मदीने में अब्दुल्ला इब्ने जवीर ख़लीफ़ा बन गया था। साथ ही ख़लीफ़ा इब्ने ज़याद भी ख़िलाफ़त के लिये प्रयत्न कर रहा था। मखान की नीयत अधिकार पाने पर बदल गई और अपने बेटे अब्दुल मलिक को उत्तराधिकारी बनाने का षड्यन्त्र रचने लगा। जब ख़लीफ़ा को यह पता लगा तो उसने मखान को अपनी माँ से ज़हर देकर मरवा डाला। वह बेचारा एक ही वर्ष ख़िलाफ़त कर सका।

वहाँ के हाकिम का सर काट लिया गया। अब ख़लीफ़ा अब्दुल मलिक तमाम मुस्लिम साम्राज्य का एक-छत्र स्वामी हो गया। इस समय भी रोम सम्राट् भूमध्यसागर पर अधिकार रखते थे। अब ख़लीफ़ा अब्दुल मलिक ने कारयेज नगर को जो उस समय सब नगरों से बड़ा था और उत्तर अफ्रीका का राज्य नगर था, ले लेने के लिये दृढ़ संकल्प किया। सेनापति हुसेन ने चालीस हज़ार सेना द्वारा उसे वीरता पूर्वक विजय किया और जलाकर भस्म कर दिया और असंख्य स्त्री-पुरुषों को काट डाला। हुसेन के बाद मूसा अफ्रीका का हाकिम बना और सारा अफ्रीका बुरी तरह लूटा-खसोटा गया। इसने तीन लाख स्त्री-बच्चों को भेड़-बकरी की तरह नाकाम कर दिया, कुछ को क़त्ल कर दिया। और उसने लूट का माल और दास, दासी ख़लीफ़ा के पास भेजे जिनके पहुँचने के पूर्व ही वह मर गया।

इस प्रकार ईसाई धर्म के पाँच बड़े राज्य नगर जिनमें जेरूसलम और सिकन्दरिया भी थे, जला दिये गये। इसके बाद शीघ्र ही कुस्तुन्तुनिया का भी पतन हो गया। इस समय मुसलमानों की तलवार ने अल्टाई पर्वत से लेकर अटलाण्टिक समुद्र तक और एशिया के मध्य से लेकर अफ्रीका के पश्चिमीय