पृष्ठ:भारत में इस्लाम.djvu/३८

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तदनंतर

इसके बाद हसन इब्ने अली ख़लीफ़ा हुआ, इसकी आयु तीस वर्ष की थी और यह शान्त, सुशील और साधु स्वभाव का था, पर इसका छोटा भाई हुसेन वीर था, उसने साठ हज़ार फौज लेकर मुआबिया पर चढ़ाई की, पर भीतरी कलह के कारण हार गया। खिलाफ़त छोड़ दी, अन्त में हसन की एक स्त्री ने उसे विष देकर मार डाला। जिस यजीद ने यह प्रलोभन दिया था कि मैं तेरे साथ विवाह कर लूँगा पीछे उसे इसी अपराध पर क़त्ल करवा दिया।

इसके बाद मुआविया खलीफ़ा हुआ और उसने कुस्तुन्तुनिया पर फ़ौज भेजी पर उसकी हार हुई। उसने कुस्तुन्तुनिया के ईसाई बादशाह को तीस हज़ार अशर्फी, पचास दास-दासियाँ और पचास अरबी घोड़े प्रति वर्ष कर देना स्वीकार किया, और तीस वर्ष के लिए सन्धि कर ली। इसके बाद उसने दस हज़ार सवार अफ्रीका पर भेजे और वहाँ जंगल कटवा कर किरवान नामक एक शहर बसाया। वह बीस वर्ष तक ख़लीफ़ा रह कर मरा। इसके बाद इसका बेटा यजीद चौंतीस वर्ष तक की आयु में ख़लीफ़ा हुआ। मुआविया ने अपने मृत्यु काल में अपने बेटे यजीद से कहा था कि तुम्हें चार आदमियों से भय है---

१-हुसेन इब्ने अली से। परन्तु यह न्यायी और तुम्हारे चचा का बेटा है, उसके साथ अच्छा बर्ताव करना।

२-अब्दुल्ला इब्ने उमर। यह सीधे मिजाज का है तुम्हें ख़लीफ़ा

स्वीकार कर लेगा।

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