.. २३ कर्नाटक ने नवाब जिस समय दिल्ली पर शाहआलम का अधिकार था, तब कर्नाटक में नवाब दोस्तअली का शासन था। उस समय फ्रान्सीसी लोग अंगरेजों के विरुद्ध अपने अधिकार के लिए पूरी चेष्टा कर रहे थे। नवाब अनवरुद्दीन के जमाने में मराठों ने कर्नाटक पर आक्रमण किया था। पर फ्रांसीसियों और बादशाह दिल्ली की सहायता से नवाब की विजय हुई थी। धीरे-धीरे अंगरेज़ों ने नवाब की दोस्ती प्राप्त करने की चेष्टा की। फ्रेंच सेनापति डुप्लेने नवाब से वादा किया कि, मैं मद्रास से अंगरेजों को निकालकर मद्रास आपके आधीन कर दूंगा। परन्तु फ्रांसीसियों ने मद्रास-विजय करके भी ४० हजार पाउण्ड नक़द लेकर अंगरेजों को बेच दिया। तब नवाब क्रुद्ध होकर फ्रांसीसियों से लड़ पड़ा। अन्त में फ्रांस की विजय हुई। भारतीय इतिहास में योरोपियनों की यह प्रथम विजय थी। यह सन् १७४६ की घटना है। अब नवाब और अंगरेज मिल गये। परन्तु फ्रांसीसियों ने कर्नाटक नवाब के दामाद चन्दा साहब का पक्ष लिया, जो कर्नाटक की गद्दी के लिए दौड़-धूप कर रहे थे। अन्त में उनकी इच्छा पूर्ण हुई, और अनवरुद्दीन नवाब को मारकर चन्दा साहब कर्नाटक के नवाब बनाये गये । त्रिचनापल्ली में मुहम्मदअली का अधिकार था । अंगरेज़ उसके पक्ष में थे। अन्त में दक्षिण का वह प्रसिद्ध युद्ध हुआ-जहाँ दक्षिण के तीन राजकुलों और अंगरेज तथा फ्रांसीसियों की किस्मत का फैसला हो गया। फ्रांसीसी हारे और भारत में उनके व्यापार का नाश हो गया। ३०१
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