पृष्ठ:भारत में इस्लाम.djvu/२७

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बहुत से मार डाले गये। इसके बाद सारा देश विजयिनी-मुसलमान सेना के आधीन हो गया। ईसाइयों को इन शर्तों पर रहने दिया गया:-

१-ईसाई नये गिरजे न बनवायें।

२-गिरजों के दरवाजे रात-दिन मुसलमानों के लिए खुले रहा करें।

३-गिरजों पर घण्टे न बजाये जायें।

४-सलीब न गिरजों पर लगाई जाय, न बाज़ार में दिखाई जाय।

५-अपने बच्चों को कुरान न पढ़ायें।

६-अपने धर्म का प्रचार न करें।

७-अपने किसी भाई को मुसलमान होने से न रोकें।

८-मुसलमानों के सामने कपड़े, जूते और पगड़ी न पहनें।

९-कमर में पटका बांधा करें।

१०-अरबी भाषा में बोलें।

११-मुसलमानों के आने पर खड़े हो जायें और जब तक बैठने की आज्ञा न मिले, खड़े रहें।

१२-तीन दिन तक मुसलमान मुसाफिर को अपने घर में रक्खें।

१३-शराब न बेचें।

१४-घोड़े पर काठी न कसें।

१५-शस्त्र न धारण करें।

१६-किसी आदमी को, जो मुसलमान के यहाँ नौकर रह चुका हो, नौकर न रक्खें।

इसके बाद अबू अबीदा ने हलब पर धावा बोल दिया। रास्ते में अरस्ता का किला पड़ता था, उसके सरदार ने मुसलमान बनने या कर देने से साफ़ इन्कार कर दिया; इसलिए उससे सुलह करके बीस सन्दूक बतौर अमानत के वहाँ रख दिये गये। उनमें सशस्त्र योद्धा थे। उन्होंने समय पाकर किले का फाटक खोल दिया और उस पर अधिकार जमा लिया।

हलब का किला सीरिया भर में सबसे मज़बूत था। यहाँ धन और व्यापार की प्रचुरता थी। पाँच मास तक किले पर घेरा रहा। अन्त में एक ईसाई के विश्वासघात से मुसलमान किले में घुस गये, और बहुत से आदमियों को काट डाला। बाकी लोगों ने डर कर क़ल्मा पढ़ लिया। किले के