१८ बंगाल के मुस्लिम-राज्य १२ वीं शताब्दी में शहाबुद्दीन ने पृथ्वीराज चौहान को बन्दी करके दिल्ली की गद्दी ग लाम कुतुबुद्दीन को दी। उसके १० वर्ष बाद उसने अपने सेनापति बख्तियार खिलजी को बंगाल-विजय के लिये भेजा। उस समय बंगाल में राजा लक्ष्मणसेन राज्य करता था। उसे हटाकर बख्तियार ने बंगाल पर अधिकार कर लिया। इसके बाद शमशुद्दीन अल्तमश ने बंगाल के विद्रोह को दमन कर, उस पर अपना अधिकार जमाया। फिर जब अलाउद्दीन मसऊद दिल्ली के तख्त पर था, तब मुग़लों ने तिब्बत के रास्ते से बंगाल पर आक्रमण किया था, पर पराजित होकर भाग गये। इसके बाद खिलजी-वंश का वहाँ कुछ दिन अधिकार रहा। बुगरा खाँ वहाँ का सूबेदार था। मुग़ल-काल में कभी हिन्दू और कभी मुसलमान शाहजादे और अमीर बंगाल के सूबेदार रहे । शाहजहाँ के जमाने में शाहजादा शुजा और औरंगजेब के जमाने में प्रथम मीर जुमला और बाद में शाइस्ताखाँ वहाँ के सूबेदार रहे । इसके बाद नवाब अलीवर्दीखाँ बंगाल, बिहार तथा बंगाल और उड़ीसा के सूबेदार रहे। जब उन पर मराठों की मार पड़ी और कमजोर दिल्ली के बादशाह ने उनकी मदद न की, तो नवाब ने दिल्ली के बादशाह को सालाना मालगुजारी देना बन्द कर दिया। परन्तु वह बराबर अपने को बादशाह के आधीन ही समझता रहा। २४२
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