1 २३६ एक खैरातखाना तथा एक लीथो छापाखाना भी खुलवाया। एक अंग्रेजो स्कूल भी खुला। नसीरुद्दीन बड़े ऐयाश थे। इनके महल में कई यूरोपियन लेडियाँ थीं। छतरमंजिल आप ही ने बनवाई थी। और भी बहुत-सी कोठियाँ आपने बनवाई। इन्होंने कर्नल बिलकान्स की आधीनता में एक वेधशाला भी बनवा दी थी, जो ग़दर में नष्ट होगई थी। इन्होंने दस वर्ष राज्य किया। इनके जमाने में गवर्नर लार्ड बैंटिंग थे। उन्होंने अवध के दौरे में नवाब बादशाह को खूब डरा-धमकाकर राज्य में बहुत-से उलट-फेर किये, और यह अफ़वाह फैल गई थी कि अङ्गरेज अब नवाबी का अन्त किया चाहते हैं। नवाब ने घबराकर गलिस्तान की पालियामेण्ट में अपील करने के इरादे से कर्नल यूनाक-नामक फ्रान्सीसी को इङ्गलैण्ड भेजा। पर बैटिंग ने नवाब को डरा-धमका कर बीच ही में उसकी बर्खास्तगी का पर- वाना भिजवा दिया। इनके बाद बादशाह की वेश्या का पुत्र मुन्नाजान गद्दी पर बैठा । पर नसीरुद्दीन की माता ने उसका भारी विरोध कर, उसे गद्दी से उतर- वाया। कुछ खून-खराबी भी हुई। अन्त में वे चुनार में कैद कर लिये गये। इनके बाद नवाब सआदतअली खाँ के द्वितीय पुत्र मिरज़ा मुहम्मद- अली गद्दी पर बैठे। ये विद्या-व्यसनी और शान्त पुरुष थे। हुसेनबाद का इमामबाड़ा इन्होंने बनवाया था। इन्होंने सिर्फ ५ वर्ष राज्य किया। इनके बाद मिरज़ा मुहम्मद अमजदअली खाँ गद्दी पर बैठे। ये शाह मुहम्मदअली के बेटे थे । ये भी ५ वर्ष राज्य कर, मृत्यु को प्राप्त हुए। इनके बाद प्रसिद्ध और अन्तिम बादशाह वाजिद अली शाह २५ वर्ष की आयु में गद्दी पर बैठे। ये बड़े शौक़ीन, नाजुक मिजाज और विनोद-प्रिय थे। इन्होंने नये फैशन के अँगरखे, कुरते, टोपी ईजाद किये। ठुमरी भी इन्हीं की ईजाद है। इनके जीवन में २४ घण्टे नाच-गाने का रंग रहता । स्वयं भी नाच-गाने में उस्ताद थे। सिकन्दरबाग़, कैसरबाग़ आदि इमारतें इन्हीं की बनवाई हुई हैं। यह नवाब जवान, सुन्दर, उत्साही और समझदार था। इसने अवध का राज-रोग समझ लिया था। इसने मुस्तैदी से सेना को सुधारना शुरू - 1 -
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