भारतीय साहित्य में राजतरंगिणी, महाभारत, रामायण, जैनग्रन्थ, जातक और अन्य बौद्धग्रन्थ हैं। वेदों, ब्राह्मणों, सूत्रग्रन्थों और स्मृतियों से भी बहुत ऐतिहासिक मसाला प्राप्त होता है। विदेशी लेख में सबसे प्राचीन लेख फ़ारस के बादशाह हिस्टस्पस के पुत्र डेरियस का है जो उसने 'परसे पुलिस' और 'नक्श रुस्तम' में किया है। दूसरे ग्रन्थ का काल ईसापूर्व सन् ४८६ है। फिर हेरोडोटस का लेख है। सिकन्दर का आक्रमण ईसापूर्व सन् ३२५-२३ में हुआ था और इसके कुछ काल ही बाद सीरिया और मिस्र के राजदूत पटने में मौर्य सम्राट के दर्बार में रहने लगे थे। उनके विवरण महत्वपूर्ण हैं। मेगस्थनीज प्रमुख है। यूनान और इटली के राजसेवक ऐरियन का वर्णन भी महत्वपूर्ण है। ईस्वी प्रथम शताब्दी में चीनी लेखक सोमाचीन ने भारत का अच्छा वर्णन किया है। सन् ३९९ ईस्वी में चीनी यात्री फाह्यान और सन् ६२९ ईस्वी में ह्यू नत्सांग के अनमोल ग्रन्थ हैं। आठवीं शताब्दी में बौद्ध भिक्षु मंजुश्री ने और ग्यारहवीं में अरबी विद्वान अलबरुनी ने अच्छ वर्णन किय है। फारसी लेखक फरिश्ता, योरोपियन लेखक बनियर, मनूची, विलियम जान्स, कोलबक, विलसन, डा० मिलट पर्जिटर, प्रिंसेप, डा० बरनल, डा० फ्लोट, कीलहार्न तथा रायल एशियाटिक सोसाइटी और सोसाइटी आफ बंगाल ने भारतीय इतिहास के सिलसिले में महत्वपूर्ण कार्य किये हैं।
शिलालेखों, ताम्रपत्रों, सिक्कों आदि से भी भारतीय इतिहास का बहुत भेद खुला है। अशोक, समुद्रगुप्त के काल पर उनसे भारी प्रभाव पड़ा है। इन सामग्रियों के अलावा अनेक प्राचीन ग्रन्थ पुराण, रासो आदि प्राप्त हुए हैं जिनसे भारतीय इतिहास पर बहुत प्रकाश पड़ता है।
बड़े-बड़े इतिहासकारों ने इस महत्वपूर्ण घटना की ओर विद्वानों का ध्यान आकर्षित किया है। भारतवर्ष के इतिहास में यह एक उल्लेखनीय बात है कि बार-बार बड़े साम्राज्य कायम होकर टूटते रहे और फिर छोटी-छोटी रियासतें बन गई। सुदास, रामचन्द्र, जरासन्ध, युधिष्ठिर, अजातशत्रु, अशोक, समुद्रगुप्त, शर्ववर्मन, हर्षवर्धन, अलाउद्दीन, औरङ्गजेब, माधवराव अपने युग में भारी सम्राट् थे, परन्तु हर बार देश की एकता छिन्न-भिन्न हो गई और वह छोटी-छोटी रियासतों में बँटकर वहाँ माण्डलिक राज बन गये। एक बार नहीं बारह-पन्द्रह बार ऐसा ही हुआ। इससे