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मिल गये। बादशाह ने जब सुना कि मशहूर नक्क़ाल आये हैं तो तमाशा करने का हुक्म दिया। उन्होंने उन सब जुल्मों की नकल की जो उन पर हुए थे। यह देख बादशाह ने हुक्म दिया-क्या ऐसा भी जुल्म किसी बादशाह की प्रजा पर होना मुमकिन है? तब सौदागरों ने कोशिश करके सब भेद खोल दिया। बादशाह ने जाँच की और हाकिम को गिरफ्तार कर रोहतासगढ़ के किले में कैद करा दिया। जहाँ से कैदी का जीवित निकलना असम्भव था। उसकी सब सम्पत्ति भी जब्त कर ली।

एक और न्याय का नमूना सुनिये। एक बदमाश ने एक स्त्री को खूब तङ्ग किया कि मुझसे शादी करले। पर वह राजी नहीं हुई। उसने एक बुढ़िया से साँठ-गाँठ की जो उसे नहलाती थी और उसके शरीर के गुप्त चिह्न मालूम कर लिये। तब दावा कर दिया कि यह स्त्री मुझसे विवाह का वादा करके वादे से हटती है। स्त्री ने इन्कार किया तो युवक ने कहा कि मैं इसके गुप्त अङ्गों के भेद को जानता हूँ। अब परीक्षा से युवक की बात सच हुई। तो काज़ी ने हुक्म दिया कि यह झूठी है इसे शादी करनी पड़ेगी। स्त्री ने मोहलत माँगी और समझ गई कि बुढ़िया ने पते दिये हैं। एक दिन वह दो मज़बूत दासियों को संग लेकर उसके घर जा पहुँची और कहा--तू चोर है, मेरा कङ्गन उतार लाया है, ला। उसके इन्कार करने पर वह उसे जबर्दस्ती पकड़कर हाकिम के पास ले आई और अपना आरोप कह सुनाया। पुरुष ने कहा--मैं इसे जानता भी नहीं। तब उसने कहा--उस दिन तुमने कहा था कि तुम मेरे साथ मुद्दत तक रहे हो, अब यह कहते हो कि जानता तक नहीं---यह क्या बात है? फिर वह बादशाह के पास गई और सब कारग़ुजारी कह सुनाई। बादशाह ने सुनकर बुढ़िया और युवक को कमर तक जमीन में गढ़वाकर तीरों से छिदवा दिया।

बादशाह अपने भारी अमीरों को भी ऐसी भयानक सजायें दिया करता था। एक अमीर ने अपने नौकर की तनखा कई महीने तक नहीं दी, अवसर पाकर शिकार के समय उसने बादशाह से शिकायत कर दी। उसने उसी समय अमीर को बुलाकर पूछा। जब उसने अपराध स्वीकार कर लिया तो बादशाह ने हुक्म दिया कि वह घोड़े से उतर जाय और नौकर सवार हो अमीर उसके साथ-साथ पैदल चले। यही किया गया। अमीर