सोन, ब्रह्मपुत्र, महानदी, गोदावरी, कृकष, काबेरी, नर्वदा और ताप्ती मुख्य हैं। गंगा, सिन्धु, सरस्वती, यमुना, गोदावरी, नर्वदा, काबेरी, सरयू, गोमती, चर्मण्वती (चंचल), क्षिप्रा, वेत्रवती, महानदी और गण्डक पवित्र समझी जाती हैं।
भारतवर्ष की विशेषतायें
भारतवर्ष संसार भर के सार से संयुक्त है। इसमें सभी तरह की जलवायु है और दुनिया भर की प्रायः सभी चीजें कहीं-न-कहीं यहाँ पाई जाती हैं। समुद्रों और पहाड़ों द्वारा यह देश सारी दुनिया से पृथक् है। खैबर और बोलन की घटियाँ इसके प्राचीन प्रवेश द्वार रहे हैं। इन्हीं के द्वारा सीदियन, शक, कुशान, हूण और मुसलमान इस देश में आये। इसमें से और सब जातियाँ आर्यों में मिलकर एक 'हिन्दू जाति' में परिणत हो गयीं, केवल मुसलमान जाति ही पृथक् रही है। आसाम और तिब्बत की ओर से भी भारत में प्रवेश करने के मार्ग हैं, पर इन मार्गों से कुछ मंगोल जातियों को छोड़कर कोई विजयिनी जाति भारत में नहीं आई।
योरोप की जातियाँ भारत में समुद्र मार्ग द्वारा आयीं। इससे प्रथम की विजयिनी जातियाँ उत्तर से प्रविष्ट होकर दक्षिण की ओर फैलती रही थीं, परन्तु योरोप की जातियाँ दक्षिण से उत्तर की ओर फैली हैं।
हिमाचल पर्वत, जो शताब्दियों से हमारा रक्षक और मेघों का नियन्ता रहा है, कभी समुद्र तल रहा है। भूगर्भशास्त्रियों का कथन है कि पुरातन युग में दक्षिण भारत ही देश था, शेष समुद्र का पैंदा। दक्षिणी भारत से लेकर मैडागास्कर तथा पूर्वी अफ्रीका तक खुला भूभाग था। भारत में तीन ऋतु प्रधान हैं: जाड़ा, गर्मी और बरसात। कितने ही देशी विदेशी सम्वत् प्रचलित हैं। इनमें विक्रम, ईस्वी और शालिवाह शक सम्वत् का अधिक प्रचार है। अधिकांश निवासी हिन्दू हैं। द्वारिका, बदरीनाथ, जगन्नाथ और सेतुबन्धरामेश्वर उनके चार धाम हैं तथा अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, काँची, उज्जैन और द्वारिका सात पुरी हैं, ये ग्यारहों स्थान पवित्र माने जाते हैं। हिन्दू १२ ज्योतिर्लिंग परम पवित्र मानते हैं, जो विश्वनाथ, घृष्णेश्वर, बदरीनाथ, केदारनाथ, वैद्यनाथ, श्रीनाथ, महाकालेश्वर, सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, त्यम्बकेश्वर, ओंकारेश्वर तथा रामेश्वर हैं।