पुराने हमले ने पाँच सौ हाथी सेल्यूकस की भेंट किए और सेल्यूकस ने अगानिस्नान की सरहद को पार कर अपने देश का रास्ता लिया। चन्द्रगुप्त के पोते जगव्यसिद्ध प्रियदर्शी सम्राट अशोक की मृत्यु के बाद मौर्यकुल की सत्ता फिर कुछ निर्बल हुई। फिर एक यूनानी सेनापति अन्ति प्रोकस ने हिन्दुकुश पर्वत को पार कर किसी छोटे से परहदी भारतीय नरेश के इलाके में प्रवेश किया। किन्तु वहाँ सिवाय अपनी फोन के लिए रसद और कुछ हाथियों के अन्ति प्रोकस को और कुछ न मिल सका और इतने ही से सन्तुष्ट होकर अन्ति श्रोकस को भी सिन्धु नदी के उस पार से ही पीछे लौट जाना पड़ा। अन्ति श्रोकस के बाद भारत पर कुछ इस तरह के हमलों का ज़िक्र किया जाता है जिन्हें सचमुच सफल हमले कहा जा सकता है । ये हमले दो तरह के श्रे- (१) बरिस्तयारी यूनानियों के हमले और (२) शक (सीदियन) हुण इत्यादि मध्य एशिया की अर्ध सभ्य कौमों के हमले । यूनानियों का भारत में बस जाना सिकन्दर के साथियों में से कुछ पच्छिम मुशिया में बस गए थे शुरू मे सिकन्दर ने इन्हें अपनी ओर से कुछ एशियाई प्रान्तों के शासक नियुक्त कर दिया था। सिकन्दर की मृत्यु के कुछ समय बाद इन लोगों ने इराक में और उसके आस पास एक सुन्दर सल्लनत कायम कर ली, जो बख्तियारी सल्तनत के नाम से सशहूर हुई । इन बस्तियारियों ने सेल्यूकस की पराजय को धोने के लिए सबसे पहले हिरात, अफगानिस्तान और बलूचिस्तान को फिर से विजय किया। इसके बाद सिन्धु नदी के इस पार इन लोगों के हमले शुरू हुए । ये हमले पजाब, सिन्ध और सौराष्ट्र ( काठियावाड़) तक
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पुराने हमले