पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/७२९

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विल्सली और निजा़म

. वेल्सली और निज़ाम किया। इसी मौके पर कम्पनी की पलटनों ने भी अचानक हैदराबाद को जा घेरा । वज़ीर अज़ीमुल उमरा से कहा गया कि आप फ़ौरन निज़ाम की पलटनों को बरखास्त करके कम्पनी की पलटनों को उनकी जगह दे दें। लिखा है कि कम्पनी को सेना को इतनी जल्दी हैदराबाद में देख कर अजीमुलउमरा चकित रह गया और एक बार उसने रियासत की सेना को बरखास्त करने से इनकार कर दिया। जिस सेना और उसके अफसरों ने सदा इतनी वफ़ादारी के साथ राज की सेवा की थी उसे बेकसूर बरखास्त कर देना अजीमुलउमरा के लिए भी इतना आसान न था। असहाय निजाम को चन्द घण्टे पहले तक इस तमाम काररवाई का गुमान भी न था। किन्तु न निजाम में इतनी हिम्मत थी और न उसके श्रादमियों में इतनी वफ़ादारी। अन्त में चारों ओर से कम्पनी की पलटनों से घिर कर, स्वयं अपने दरबार को विश्वासघातकों से छलनी छलनी देख कर और अपनी ही सेना को अपने खिलाफ विद्रोहो देखकर निजाम को अंगरेज़ रेजिडेण्ट की इच्छा पूरी करनी पड़ी। १ सितम्बर सन् १७६८ को निज़ाम ने कम्पनी के साथ उस कपनी और नए सन्धि पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए जिससे निज़ाम में सबसी हैदगबाद दरवार की स्वाधीनता का सदा के द्वीयरो सन्धि लिए खात्मा हो गया। इस सन्धि पत्र का पहला ही वाक्य सरासर झूठ है। उसमें लिखा है- "चंकि नवाब निज़ामुलमुल्क श्रासफजाह बहादुर ने मौजूदा दोस्ती के महत्व को देखते हुए यह इच्छा प्रकट की है कि माननीय कम्पनी की जो