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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज की इस सना को तोड़ कर उसकी जगह कम्पनी की एक नई सवसीडीयरी सेना निजाम के राज में कायम कर दे। दूसरे शब्दों में वेल्सली ने सब से पहले निजाम को सब्सीडीयरी सन्धि' के जाल में फंसाने की तजवीज़ की। निजाम की हालत पहले ही काफी गिरी हुई थी। कुर्दला की पराजय ने उसे और भी कमजोर कर दिया था। निजाम को मालूम होता है, कुर्दला में अंगरेजों के निजाम सब्सीडीगरी संधि के जाल में फांसने को मदद न देने और उसकी सबसीडीयरी सेना की तजवीज तक को उससे दूर रखने का असली मतलब यह था कि अंगरेज निजाम को जहाँ तक हो सके, कमजोर कर देना चाहते थे । वेल्सली ने डण्डास को लिखा :- ___"मैं अभी लिख चुका हूँ कि x x x कुर्दला की सन्धि से और जिस ढङ्ग से उस सन्धि का पालन कराया गया है, उससे निज़ाम की हालत कितनी गिर गई है और कितनी कमजोर हो गई है।xxx ___ "इस समय मालूम होता है कि हैदराबाद का दरबार हमारे माथ अधिक गहश सम्बन्ध कायम करने के लिए बड़ी बड़ी कुानियाँ करने को तैयार है। और यदि किसी दूसरे सबब से इस सम्बन्ध को धनुचित न समझा जावे; नो बजाय इसके कि हम अपनी ओर से पत्र व्यवहार शुरू करें और निज़ाम से कहें कि तुम अपनी सेना के किसी हिस्से को बरखास्त कर दो, यदि निज़ाम हमसे प्रार्थना करे और हम उस पर बतौर एक अहसान के उसके साथ इस तरह के सम्बन्ध को मंजर करे तो शायद हमें बहुत अधिक लाभ हो सकता है।"