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भारत में अंगरेज़ी राज

४३२ भारत में अगरेजी राज भारत श्राने से पहले दो महीने आशा अन्तरोप में रह कर बेल्लली ने भारत की अनेक देशी रियासतों की स्वाधीनता को नाश करने को तरकी सोची। इस काम में उम्मे दो अंगरेज़ अफसरों से बहुत बड़ी मदद मिली। एक सर डेविड बेयर्ड और दूसरा मेजर कर्कपैट्रिक । सर डेविड वेयर्ड टोपू सुलतान के यहाँ कैद रह चुका था। डेविड बेयर्ड का बयान है कि टीपू प्रायः अपने मनोरंजन के लिए बेयर्ड को बन्दर की तरह कपड़े पहनवा कर एक ऊँचा बाँस गड़वा कर उसे उस बाँस पर चढ़वाया उत्तरवाया करता था और बन्दर की तरह नचवाया करता था। हम भी इस बयान को केवल मनोरंजन के तौर पर दे रहे हैं। नहीं तो टीयू की इस तरह की हरकतों का सबूत सिवा अंगरेज कैदियों के बयानों के और कहीं नहीं मिलता, और इन बयानों पर बहुत अधिक विश्वास नहीं किया जा सकता। मेजर कर्कपैट्रिक वारन हेस्टिंग्स और कॉर्न- वालिस के समय का खुर्राट नीतिज्ञ था। माधोजी सोंधिया के यहाँ नेपाल में और हैदराबाद में, तीन जगह वह कम्पनी के दूत का काम कर चुका था । माधोजी सोंधिया को नाना फड़नवीस से लड़ाकर मराठों की सत्ता को नाश करने में, नेपाल के मार्गों और सैन्यबल इत्यादि का गुप्त पता लगाने में और हैदराबाद को सेना revenue upon revenue . I will accumulate glors and wealth and grower, until the amhitton and avernce es en of my masters chail cry mercy Marquess of Weiltstey's letter to ladyr Anne Burnard, dated October 2nd, 1800