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भारत में अंगरेज़ी राज

४२६ भारत में अंगरेजी राज रेख के लिए पालिमेण्ट की ओर से बनाया गया था। इससे पहले के एक गवरनर जनरल लॉर्ड कॉर्नवालिस और इंगलिस्तान के प्रधान मन्त्री पिट से वेल्सली को गहरी मित्रता थी। इन दोनों को मदद से सन् १७६३ से १७६% तक वेल्सली इंगलिस्तान में बैठा हुआ भारतीय इतिहास और भारत की उस समय की राजनैतिक हालत का गौर से अध्ययन करता रहा । वेल्लली को भारत भेजने से पहले प्रधान मन्त्री पिट ने उस एक सप्ताह अपने पास रख कर हिन्दोस्तान के अन्दर एक विशाल ब्रिटिश साम्राज्य कायम करने की सम्भावना और उसके उपायों पर उसके साथ खूब बातचीत की। इस तरह शिक्षा पाकर वेल्सली ७ नवम्बर सन् १७६७ को अपने देश से रवाना हुआ और मार्ग में दो महीने अफरीका की श्राशा अन्तरोए में ठहर कर मई सन् १७६८ में कलकत्ते पहुँचा। अठारवीं सदी के अन्त में पच्छिम के देशों में कौमी आज़ादी की एक जबरदस्त लहर चल रही थी। स्वतन्त्रता' यूरोप में कौमी THY_ 'समता' और 'मनुष्य मात्र के बन्धुत्व' की आजादी की लहर - आवाजे चारों ओर गंज रही थीं। ४ जुलाई सन् १७७६ को अमरीका ने अपने आपको इङ्गलिस्तान की दासता से स्वतन्त्र कर देश में प्रजातन्त्र राज ( रिपब्लिक) की स्थापना की। ७ वर्ष के भयङ्कर रक्तपात के बाद ३० नवम्बर सन् १७८२ को इंगलिस्तान ने लाचार होकर अमरीका की स्वाधीनता' को स्वीकार किया। सन् १७८६ में फ्रान्स को जगद् प्रसिद्ध राजक्रान्ति का