पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/७०१

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सर जॉन शोर

सर जान शोर थे। अनेक बार पालिमेण्ट में इन कज़ों के विषय में पूछ ताछ को बाई । किन्तु इंगलिस्तान के मन्त्री बराबर टालमटोल और तरह तरह को चालाकियों से काम लेते रहे। मिसाल के लिए नवाब को कर्ज देने वालों में एक अंगरेज़ पाल बेन्फ़ील्ड भी था । किन्तु कर्जखाहों की जो सूचियाँ समय समय पर पालिमेण्ट के सामने पेश की जाती थीं उनमें बेन्फील्ड का नाम कभी उड़ा दिया जाता था ओर कभी फिर जोड़ दिया जाता था। वात यह थी कि बेन्फ़ील्ड और उसके अनेक साथियों ने पालिमेण्ट के चुनाव के समय मन्त्रिमण्डल का पक्ष लेने वाले सदस्यों को चुनवा कर भेजने में खूब धन खर्च किया था और मन्त्रियों के मुंह बन्द कर दिए थे। पालिमेण्ट के अन्दर भी कुदरती तौर पर उस समय के मन्त्रियों ही का प्रभाव था। इसी सम्बन्ध में इतिहास लेखक विलियम हाक्टि लिखता है- "जिस ढङ्ग से यातनाएं दे देकर भारतीय नरेशों की रियासतें उनसे जबरदस्ती छीनी गई हैं वह यह है कि चालबाज़ लोगों ने पहले तो बड़ी होशयारी के साथ उन नरेशों को अपना क़र्ज़दार बनाया और फिर उन्हें अपनी अत्यन्त बेजा माँगों के सामने तुरन्त सर झुकाने के लिए विवश कर दिया । १३ अक्कवर सन् १७६५ को 8 साल की श्रायु में नवाब

  • Thornton in his History of Brzzesh India, 2nd Edition 1859, 22 181

182 - "What then is this vstem of torture by wluch the possessions of thi Indsnn Proces have been wrurg from them. It is the the eful applica tion of the process by whi.h cunning men crent debtors, and then torc २७