सर जॉन शोर कोई कोई अंगरेज़ यह भी लिखते हैं कि नाना फड़नवीस में कुछ अनबन होने की वजह से पेशवा ने इस तरह आत्महत्या कर ली। किन्तु उस समय को तमाम परिस्थिति को देखने से यह मालूम होता है कि नाना और पेशवा के परम्पर वैमनस्य और आत्महत्या की यह कहानी केवल नाना के खिलाफ लोगों के कान भरने के लिए गढ़ी गई थी। मुमकिन है कि पेशवा का छज्जे से गिर पड़ना अकस्मात् हुश्रा हो, किन्तु इससे कहीं ज़्यादा मुमकिन यह है कि पेशवा के किसी दुशमन या नमकहराम सेवक ने उसे मौका पाकर ढकेल दिया। मॉस्टिन के समय में राघोबा को पेशवा की मसनद पर बैठाने के लिए पेशवा नारायनराव की हत्या की जा चुको थो; कौन आश्चर्य है यदि मैलेट के समय में गोवा के पुत्र बाजोगव को मसनद पर बैठाने के लिए नारायनराव के पुत्र पेशवा माधोगव दूसरे की हत्या कराई गई हो ओर मैलेट तथा बाजीराव के किसी गुपचर ने मौका पाकर उसे छज्जे से ढकेल दिया हो ! माधोराव की पैदाइश के समय से अंगरेज़ बराबर उसके खिलाफ थे और उसकी अकाल मृत्यु से उन्हें बेहद खुशी हुई। पेशवा माधोराव नारायन की आयु मृत्यु के समय केवल २१ साल की थी। उसके कोई लडका न था, किन्तु अन्तिम पेशवा हिन्दू रिवाज के अनुसार उसकी विधवा को बाजीराव गोद लेने का अधिकार था। अंगरेजों ने इस समय राघोबा के पुत्र बाजीराव को पेशवा बनाने का यत्न किया तुकाजी होलकर अंगरेजों के कहने में था। पूना पहुँच कर उसने
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सर जॉन शोर