४०२ भारत में अंगरेजी राज ने दिल्ली के आसपास के इलाकों पर हमला किया और सम्राट को कुछ समय के लिए एक तरह अपना कैदी बना लिया । अंगरेज़ उस समय तक लम्राट की प्रजा थे और बराबर अपने इलाकों के लिए सम्राट को खिराज दिया करते थे । वारन हेस्टिग्स ने बजाय सम्राट की सहायता करने के माधोजी को हर तरह उकसाया और बाद में अंगरेजों ने सम्राट की असहाय अवस्था में लाभ उठाकर खिराज भेजना बन्द कर दिया। माधोजी के बढ़ते हुए वल को देखकर महाराष्ट्र मण्डल के दूसरे सदस्यों को ईर्षा होना स्वाभाविक था। अन्त माधाजी साधिया में यह ईर्षा ही मराठों की सत्ता के नाश की के नाश की का सबसे बड़ी वजह हुई । कलकत्ते की कौन्सिल की काररवाई में दर्ज है कि एक बार कौन्सिल के कुछ सदस्यों ने यह शक जाहिर किया कि माधोजी के बल का वढ़ते जाना कम्पनी के लिए खतरनाक है । इस पर वारन हेस्टिंग्स ने उन्हें विश्वास दिलाया कि माधोजी की नई सेना ही अन्त में उसके विनाश का सबब होगी। वारन हेस्टिग्स को अपनी चाल पर पूरा काबू था, और उसके जीवन ही में उसकी यह पेशीनगोई मची सावित होगई। माधोजी सीधिया का बल बढ़ता जा रहा था। अंगरेजों के लिए उसे सीमा के अन्दर रखना ज़रूरी था। माधोजी सींधिया supporting the authority of the forms ! Lallust the 11t1 did a nitr so and ettect the lun ol then all "- ( at ilar theryes mulist Hurren Hasting m hempt thern In England
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भारत में अंगरेज़ी राज