भारत में अंगरेजी राज पंचायती कामों को चलाती रही है और गाँव भर के हितों की रक्षा करती रही है । पञ्चों की तादाद पहले पाँच हुआ करती थी, अब अकसर पाँच से अधिक होती है। किन्तु पञ्चों में सदा सब बिरादरियों के चुने हुए लोग शामिल रहे है। जब कभी कोई झगडा होता है पञ्च ही प्राचीन मर्यादा के अनुसार उसका फ़ैसला करते है, और जब कभी कोई नए डङ्ग का प्रश्न आ खड़ा होता है नो पञ्च ही नए नियम बनाकर श्राइन्दा के लिए मर्यादा कायम करते हैं।"* सर जॉन मैलकम लिखता है :- "भारत को म्युनिसिपल और ग्राम पंचायतों को छोटे बड़े तमाम लोगों ने मिल कर जो अधिकार दे रक्खे थे उनके बल पर ये पंचायतें अपने अपने दायरे के अन्दर पूरी तरह शान्ति और व्यवस्था कायम रख सकती थीं। मध्यम भारत मैं अन्यायी शासकों ने भी कभी इन पंचायतों के स्वत्वों और उनके अधिकारों पर हमला नहीं किया, जब कि तमाम न्यायशील नरेशों की कीर्ति और सर्वप्रियता का खास सबब यही होता था कि वे इन पंचायतों का पूरा खयाल रखने थे। Time out of mind, the village and its •ommon Interests and affairs lhave been mod OF by a council of elders, anciently five in mumber nor frequentls mot mumerous but alrams repre-entalire in character, who, whe || 2ny dispute As, dirture what is the customers ar and who, when aan H ot unPILLErlented vave occurs occasionali tusatt,"...-Jhadn101 ' Ilu Munu pil indl village Institutions of Indi 2 we re competent, from the PUREL OVELth-m by the romnot assent of all ranks to maintrun ord! An ICATithin their respertise uncles Jn Central India, their rigtits and mulepcs never wele contesterd even brtyiants whitel just princes tounded ther curf reputation and claim to popularity on attention to tihem" -Milcohn rol ! ( hap ul Id, P101
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भारत में अंगरेज़ी राज