झॉर्ड कॉर्नवालिस टीपू का जन्म सन् १७४६ ईसवी में हुआ। लिखा है कि एक मुसलमान फकोर टीपू मस्तान औलिया के श्राशीर्वाद से हैदरअली के यहाँ इस पुत्र का जन्म हुआ । इसीलिए उसका नाम फतहअली टीपू रक्खा गया। इतिहास में वह टीपू सुलतान के नाम से मशहूर हुश्रा । पराक्रम और युद्ध कौशल में टीपू अपने बाप के मुकाबले का था। उसकी शुमार भारत के बल्कि संसार के ऊँचे से ऊँचे वीरों में की जाती है। टीपू के चरित्र का अधिक दिग्दर्शन एक अगले अध्याय में किया जायगा, यहाँ पर केवल कॉर्नवालिस और टीपू के युद्ध को बयान कर देना ज़रूरी है। सन् १७८४ में टीपू और कम्पनी के बीच सन्धि हो चुकी थी, . जिसमें कम्पनी ने टीपू सुलतान को मैसूर का टीपू से अंगरेजों न्याय्य अधियति स्वीकार कर लिया था और वादा किया था कि आइन्दा हम कभी मैसूर के राज मे दखल न देंगे और टीपू सुलतान के साथ सदा मित्रता कायम रक्खेंगे। तब से अब तक टीपू ने अपनी ओर से सन्धि का ठीक ठीक पालन किया था और अंगरेजों के साथ कभी किसी तरह की छेड़छाड़ न की थी। किन्तु टीपू और उसके पिता हैदर के हाथों जो हार पर हार और जिल्लत पर जिल्लत अंगरेजों को उठानी पड़ी थी वहहर अंगरेज़ के दिल में कॉट की तरह खटक रही थी। बाप के भरले के बाद करीब एक साल तक जिस शान और सफलता के साथ टीपू ने अंगरेजों के साथ युद्ध जारी रक्खा. उसकी वजह से उन दिनों टीपू का नाम सुनकर अंगरेज चौक उठते को डर
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लॉर्ड कॉर्नवालिस