पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/६४५

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सर जान मैक्फरसन

सर जॉन मैक्फरसन ३६५ लड़ी। अन्त में अंगरेजों की सहायता से मोहम्मदअली करनाटक का नवाब बना । इस लहायता के बदले में मोहम्मदअली ने अंगरेजों को साढ़े चार लाख पैगोदा यानी करीब १६ लाख रुपए सालाना का इलाका अता किया। शुरू में अंगरेज़ नवाब मोहम्मदअली का बड़ा आदर करते थे। यहाँ तक कि एक बार मोहम्मदअली ने एक पत्र कुछ उपहारों और भेंट सहित इंगलिस्तान के बादशाह तीसरे जॉर्ज के पास भेजा और उसके जवाब में बादशाह जॉर्ज ने अपने हाथ से लिखकर एक अत्यन्त आदर और प्रेम का पत्र और उसके साथ बतौर नज़राने के दो बढ़िया पिस्तौल और बतौर नमूने के कुछ इंगलिस्तान का बना कपड़ा मोहम्मदअली के पास भेजा। किन्तु थोड़े ही दिनों में ठीक वही सलूक मोहम्मदअली के साथ ___होने लगा जो उत्तर में अवध के नवाबों के साथ हो रहा था । धन की नित्य नई माँगे उसके साथ कम्पनी की __सामने पेश की जाती थी और जबरन् पूरी कराई ज्यादतियाँ जाती थीं। मिसाल के लिए यह एक प्रथा पड़ गई थी कि मोहम्मदअली मद्रास के हर नए गवरनर की अपने यहाँ दावत करे और उसे तीस हजार पैगोदा नज़र करे। कम्पनी के छोटे मोटे नौकरों की माँगे भी मोहम्मदअली के ऊपर नित्य बढ़ती गई, यहाँ तक कि जब अरकाट का खजाना खाली हो गया तो कुछ अंगरेज व्यापारियों ने ही अपने दूसरे देशवासियों की माँ पूरी करने के लिए मोहम्मदअली को कर्जे देने शुरू किए । लाचार