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भारत में अंगरेज़ी राज

३५४ भारत में अंगरेजी राज अंगारेज लेखक मि० गैलेटिक आई० सी० एस० ने दिखाया है कि हैदरअली ने अपनी सलतनत भर में गोरक्षा का उसी तरह सुन्दर प्रबन्ध कर रक्खा था जिस तरह बाबर और उसके उत्तराधिकारी मुगल सम्राटों ने। हैदरअली के राज में गोचध का कड़ा निषेध था और यदि राज भर में कभी कोई मनुष्य गोबध का अपराधी होता था तो उसके हाथ काट लिए जाते थे। जगद्गुरु शङ्कराचार्य के चार मुख्य मठों में शृङ्गेरी का मठ मैसूर के राज में था। शृङ्गेरी मठ के स्वामी उस समय हैदरअली और र के जगद्गुरु शङ्कराचार्य के साथ हैदरअली का न जगद्गुरु न खास प्रेम था। दोनों में खूब पत्र व्यवहार होता था। वर्तमान मैसूर राज के पुरातत्त्व विभाग ने कृपा कर हमारे पास कनाड़ी भाषा में जगद्गुरु शङ्कराचार्य के नाम हैदरअली के एक मूल पत्र का फोटो भेजा है जिस पढ़ने से मालूम होता है कि हैदरअली जगद्गुरु का कितना अधिक आदर करता था और किस तरह राज के गम्भीर मामलों में जगद्गुरु की सलाह लेकर काम करता था। इसी पत्र के साथ हैदरअली ने “एक हाथी, पाँच घोड़े, एक पालकी, पाँच ऊँट xxx पाँच सोने के ताफ्ते (सूर्य चन्द्राङ्कित पताकाएँ, जो जगद्गुरु के साथ चलती हैं )xxx एक जोड़ी शाल,साढ़े दस हज़ार रुपए नकद xxx इत्यादि” जगद्गुरु की नज़र के तौर पर और “एक ठोस सोने का फतीलसोज़ ( शमई ) शृङ्गेरी मठ की देवपूजा" के लिए जगद्गुरु की सेवा में भेजा।