पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/६१३

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हैदरअली

हैदरअलो ३३५ खर्च ओर जुरमाने के तौर पर एक बहुत बड़ी रकम अगरेजों ने हैदराली को भेंट की और यह तय हुआ कि भविष्य में यदि कोई तोसरा हैदरअली पर हमला करेगा तो अंगरेज़ हैदरअली की मदद करेंगे और यदि कोई अंगरेजों पर हमला करेगा तो हैदरअली उनको मदद करेगा। दुसरे सुलहनामे में, जो हैदरअली और मोहम्मदअली के ___दरमियान था, यह तय हुआ कि मोहम्मदअली ___ हैदरअली और अरकाट का नवाब बना रहे; किन्तु श्राइन्दा अरकाट के नवाब से अरकाट का नवाब भैसूर का सामन्त समझा में सन्धि - जावे, छ लाख रुपए सालाना बतौर खिराज मैसूर दरवार को अदा किया करे, और पहले साल का खिराज पेशगी इसी समय अदा किया जावे। दोनों सन्धियों के पालन की जिम्मेदारी अंगरेजों ने अपने ऊपर ली और इन सब बातों के अलावा हैदरअली के एक जहाज के बदले में, जो उन्होंने युद्ध के शुरू में धोखे से बम्बई में ले लिया था, अंगरेजो ने एक नया युद्ध का जहाज़ पचास तोपों सहित हैदर को भेंट करने का वादा किया। इस युद्ध ने साबित कर दिया कि हैदर की वीरता, उसका युद्ध कौशल और उसकी उदारता तीनों ही ऊँचे दर्जे की थीं और अंगरेज किसी तरह भी उसके मुकाबले में न ठहर सकते थे। दक्खिनो भारत में अंगरेजों की अब काफी दुर्दशा हो चुकी