हैदरअली ३२९ के पास भेजा, जिसमें लिखा था कि-"अंगरेजी सेना तुम्हारे किले पर हमला करने वाली है, इसलिए तुम्हारी मदद के लिए पाँच सौ सिपाही आज शाम को भेजे जायेंगे, किले का फाटक खुला रखना।" चाल काम कर गई और उसी दिन शाम को कम्पनी के वरदी बदले हुए सिपाहियों ने जाकर किले पर कब्जा कर लिया । मखदूम को जब यह बात मालूम हुई तो उसने बदला लेने का इरादा किया ! चन्द रोज़ के अन्दर ही उसने अपने कुछ सवारों को अंगरेज़ी वर्दियाँ पहना कर किले के सामने भेजा। इन सवारों में से एक ने, जो इत्तफाक से अंगरेजी सेना का भाया हुआ एक अंगरेज सिपाही था, आगे बढ़ कर किले के अंगरेज़ अफ़सर से चिल्लाकर कहा-"हैदर की संना हम लोगों का पीछा कर रही है। मेरी सेना के कमाण्डर की प्रार्थना है कि आप फाटक खोल दीजिये, ताकि हम सब लोग भीतर श्रा जावे।" यह चाल भी चल गई और मखदूम की सेना ने फिर से उस किले के ऊपर कब्जा कर लिया। स्मिथ और वुड दोनों की सेनाएँ मिलकर अब हैदर की गैर हाज़िरी में बंगलोर विजय करने के इरादे से आगे बढ़ी। राजधानो श्रीरंगपट्टन के बाद पूरब में बंगलोर और पच्छिम में मंगलोर, ही मैसूर राज के प्रधान नगर थे। ___ उधर मंगलोर को प्रजा ने टीपू का बड़े उल्लास के साथ म्वागत किया । बम्बई की अंगरेजी मना और मंगलोर में टीपू की टीपू की सेना में एक भयंकर लड़ाई हुई जिसमें शानदार विजय टीपू ने पूरी विजय प्राप्त की। अंगरेज सेनापति,
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हैदरअली