पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/५९७

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हैदरअली

हैदरअली ३२१ सफ़ेद झंडा फ़सील पर गड़ा हुआ था, किले में घुस कर वहाँ के किलेदार, उसके बालवञ्चों और एक एक सिपाही को जो हथियार रख चुके थे कत्ल कर दिया, और यह सब अंगरेज सेनापति की श्राज्ञा से किया गया। कावेरीपट्टम के बाद हैदरअली ने अपने बाकी किलों को भी एक एक कर अंगरेजों से विजय किया। इन तमाम लड़ाइयों और मोहासरों का बयान करना यहाँ पर अनावश्यक है। इन लड़ाइयों में जनरल स्मिथ की सेना को काफ़ी जिल्लत के साथ पीछे भागना पड़ा। जगह जगह उसे अपना माल असबाब पीछे छोड़ देना पड़ा, अपनी तो और गोला बारूद तालाबों और नदियों में फेक देना पड़ा और कहीं कहीं अपने मुदी तक को बिना दफनाए मैदान में छोड़ कर भागना पड़ा। किन्तु अपनी तमाम लड़ाइयों में हैदर का यह एक नियम था कि वह आगे बढ़ने से पहले शत्रु के मुर्दो को जमा करके यथा विधि दफना दिया करता था। हैदर के बड़े बेटे फतहअली टीपू की श्रायु इस समय १८ वर्ष ___ की थी। टीपू अपने बाप के साथ मैदान टाका मदाख में मौजूद था। हैदर स्वयं जनरल स्मिथ को पर हमला " अपनी सरहद से बाहर निकालने के लिए पीछे रहा और टीपू को उसने पाँच हजार सवार देकर एक दूसरे पास्ते मद्रास की ओर भेजा। टीपू अपनी सेना सहित इस तेजी के साथ आगे बढ़ा कि मद्रास का गवरनर और उसकी