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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज जिस तरह मैसूर का राजा दिल्ली सम्राट के मातहत था, उसी सरह मैसूर के मातहत अनेक छोटे छोटे सामन्त राजा थे। भैसूर के अनेक सामन्त उस समय मैसूर के खिलाफ बगावत कर रहे थे। इनमें से अनेक के बीच आपसी लड़ाइयाँ जारी थीं। इन सामन्तो था प्रान्तीय शासकों को अधिकतर पालीगार कहा जाता था। हैदर ने सेना भेजकर इन सब पालीगारों को वश में किया और सारे राज में शान्ति और सुशासन कायम किया । इन बागी सामन्तों में मुख्य बेदनूर का राजा था। लिखा है कि राजधानी वेदनूर की आधी आबादी उस समय ईसाई थी। वेदनूर के राजा और उसकी विधवा माता में कुछ झगड़ा हुश्रा। राजा ने हैदरअली में मदद चाही। बेदनूर की प्रजा भी राजा के 'पक्ष में थी। हैदरअली ने राजा का पक्ष लेकर वेदनूर पर चढ़ाई की, रानी ने बड़ी वीरता के साथ अपने दुर्ग की रक्षा को। अन्त में रानी की सेना हार गई । हैदरअली ने एक बार रानी और उसके बेटे में सुलह करवा दी और बेटे के राजतिलक का प्रबन्ध कर दिया। इसके बाद भी रानी ने बेटे के साथ गुप्त साजिश करके हैदरअली को मरवा डालने का प्रबन्ध किया । हैदरअली पर भेद खुल गया। तहकीकात के बाद रानी और उसके पुत्र दोनों को उसने कैद कर लिया और उनकी जगह अपने एक आदमी राजाराम को वेदनूर का शासक नियुक्त कर दिया। वेदनूर की रियासत इतनो धनाड्य थो कि किले के अन्दर हैदरअली को करीब बारह करोड़ रुपए का माल सोना, चाँदो और जवाहरात मिले । हैदरअली ने इस धन से अपने