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भारत में अंगरेज़ी राज

३०६ भारत में अगरेजी राज ३-राघोबा को २५,०००) रुपए मासिक पेन्शन पर एक जगह रहने की इजाजत दी गई। ४-जो सन्धि वारन हेस्टिंग्स ने गोहद के राजा के साथ की थी वह रह ठहराई गई, ग्वालियर माधोजी सीधिया को वापस मिल गया और गोहद का राना, जिसे अंगरेज़ों ही ने माधोजी के खिलाफ भड़काया था, जिसकी सहायता के बिना कप्तान पोफ़म माधोजी को कभी भी वश में न कर पाता और बिना माधोजी को वश में किए पेशवा द्रवार के साथ इतनी आसानी से सुलह भी न हो सकती, अब दण्ड भोगने के लिए अपने शत्रु माधोजी के हवाले कर दिया गया। सन्धि पत्र १७ मई को लिखा गया, किन्तु नाना फड़नवीस ने सात महीने बाद तक उस पर दस्तखत न किए, क्योंकि नाना का सञ्चा मित्र और अंगरेज़ों का जानी दुशमन हैदरअली अभी तक अंगरेजों से लड़ रहा था। नाना की श्राशाएँ अभी टूटी न थीं। इसके अलावा जब तक हैदरअली मैदान में था, नाना का अंगरेजों के साथ सन्धि कर लेना हैदअली के साथ विश्वासघात करना होता। अन्त में दिसम्बर महीने में नाना को हैदरअली की मृत्यु का समाचार मिला। अंगरेज़ों को भारत से निकालने की उसकी आशाएँ टूट गई। नाना ने अब सालबाई के सन्धि पत्र पर दस्तखत कर दिए इस तरह ले दे कर पहले मराठा युद्ध का अन्त हुआ। इस युद्ध से भारत के अन्दर न अंगरेज़ों का ज़रा सा भी इलाका बढ़ा;