पहला मराठा युद्ध २६ फरवरी सन् १७७६ को वह अपनी विशाल सेना सहित सूरत पहुँच गया। ___वारन हेस्टिंग्स को जिम समय बम्बई की सेना की इस अपमानजनक हार और नई सन्धि का पता लगा तो उसने फौरन करनल गॉडर्ड को लिख भेजा कि आप उस सन्धि की विलकुल परवा न करें, और आगे बढ़ते जायें। मराठा मण्डल के पाँच मुख्य स्तम्भों में से एक महाराजा गायकवाड़ को अंगरेज़ अपनी ओर फोड़ चुके थे। साधिया और बरार के महाराजा भोसले ने वारन हेस्टिग्स की होलकर कुलों की सलाह न मानी थी, फिर भी वारन हेस्टिंग्स ने अपनी चालों द्वारा उसे इस संग्राम से तटस्थ कर रखा था। पेरावा की मदद के लिए अब केवल होलकर और सींधिया दो नरेश बाकी रह गए थे। मालवा का प्रान्त जिसे मध्यभारत कहते हैं, १८ वीं सदी के प्रारम्भ तक मुगल साम्राज्य का एक भाग था और निजाम की सूबेदारी में था। सन् १७२१ में निज़ाम के बगावत करने पर दिल्ली सम्राट ने निज़ाम की जगह एक हिन्दू राजा गिरधरराय को मालवे का सूयेदार नियुक्त कर दिया। कुछ समय बाद पेशवा ने राजा गिरधरराय से मालवा विजय करके उत्तरीय भाग अपने एक अनुचर रानोजी सींधिया को और दक्खिनी भाग एक दूसरे अनुचर मलहरराव होलकर को दे दिया ! यही इन दोनों राजकुलो का प्रारम्स था। उत्पत्ति
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