पहला मराठा युद्ध २३ सहायता न देंगे, बसई का किला पूना दरबार को लौटा देंगे और इस दरबार के साथ सदा मित्रता कायम रक्खेंगे। पूना दरबार ने राघोबा के गुज़ारे के लिए प्रबन्ध कर दिया और “दोस्ताना कायम रखने के लिए” कम्पनी को साष्टी का टापू, भडोच शहर की माल- गुजारी और उसके पास पास तीन लाख रुपए सालाना का इलाका बतौर जागीर दे दिया। यह भी तय हुआ कि कम्पनी का एक वकील पेशवा के दरबार में रहा करे। पूना दरवार को निस्सन्देह यह आशा थी कि इस उदारता के बाद हम इन विदेशी व्यापारियों के साथ अमन से रह सकेंगे, किन्तु उनकी यह आशा झूठी निकली। पूना के चतुर ब्राह्मण भी कूट नीति में इन विदेशियों सं टक्कर न ले सके। वास्तव में दोनों के नैतिक आदशों में बहुत बड़ा अन्तर था। ज्योही कम्पनी के डाइरेक्टरों को इस नई सन्धि की सूचना मिली, उन्होंने फ़ौरन वाग्न हेस्टिंग्स को लिखा :- "हम चाहते है कि राघोबा के साथ जो सन्धि हुई थी, उसके अनुसार कम्पनी को जितना इलाका मिला था, उस सबको हर हालत में अपने कब्जे में रक्खा जावे और हम आपको आज्ञा देते है कि जो उपाय उस कायम रखने और उसकी रक्षा करने के लिए जरूरी हो, आप तुरन्त कर डालं ।" बम्बई कौंसिल, कलकत्ता कौंसिल और कम्पनी के डाइरेक्टर, "HAPMuve underi I rum-Lalit tle || Epg of all the territor - indoESIONatuled to tir Comperhythrite ths concludel sath Raghobt, ud direct that rou forthwith adopt ith imeasturt is may e Int: ५vi or their meetic Trtu o urt tot Dutt to the (re Seriment ot Bengal, NI:ll, p +3th
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पहला मराठा युध्द