पहला मराठा युद्ध २८१ राघोबा के नाम, जिसमें वारन हेस्टिंग्स ने राधोवा के प्रति मित्रता प्रकट करते हुए बम्बई कौन्सिल की समस्त काररवाई का समर्थन किया। अपटन को हिदायत कर दी गई थी कि यह दूसरा पत्र केवल उस सूरत में उपयोग करना, जब कि इस बीच किली सवव से राघोबा के पक्ष की जोत हो चुकी हो। साथ ही हेस्टिंग्स ने जो पत्र सखाराम बापू के नाम भेजा, उसमें भी अपनी मित्रता प्रकट करते हुए पेशवा दरबार से प्रार्थना की कि साष्टी और बसई अंगरेजों ही के पास रहने दिए जायें। पेशवा दरबार के मन्त्री, जिनमें सखाराम बापू और नाना फड़नवीस जैसे नीतिज्ञ मौजूद थे, मामले को खूब मराठों को समझते थे। करनल अपटन ने वारन हेस्टिंग्स सन्देह के नाम २ फ़रवरी सन् १७७६ के पत्र में लिखा-~- "वे मुझसे हज़ार बार पूछते हैं कि 'आप बराबर इतनी वफ़ादारी की क्रस्में क्यों खाते हैं ? बम्बई गवरमेण्ट की छेड़ी हुई लड़ाई को तो श्राप लोग बुरा कहते हैं और उस लड़ाई द्वारा जो इलाके आपको मिल गए हैं उन्हें अपने पास रखने के लिए इतने इच्छुक हैं, यह सब मामला क्या है ?"* पेशवा दरबार ने इस बात पर ज़िद की कि अंगरेज फौरन साष्टी और बसई खाली कर दें। मजबूर होकर अपटन ने ७ फरवरी Theyask man thri timirs, Hny make suchirofession ot Socs Hov.disapurve the rur entered unto by the Bombay Government, hen reasodevrosofivatling ourselves of the advantages of it." - Colonel upon to rasre Ha-ng 2nd Frh 1776
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पहला मराठा युध्द