पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/५४१

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पहला मराठा युध्द

पहला मराठा युद्ध २७१ और तुरन्त उम बम्बई की कौन्सिल का वकील बनाकर पेशवा के दरबार में भेज दिया गया। मराठों, हैदर और इतिहास लेखक प्राण्ट डफ़ स्पष्ट शब्दों में निज़ाम मे फूट लिखता है- "बम्बई की गवरमेण्ट ने मि० डालने के प्रयत मॉस्टिन को इस उद्देश से पूना भेजा कि वह xxy मराठों को घर ही घर में एक दूसरे से लड़ा कर था जिस तरीके से हो सके इस बात की कोशिश करे कि मराठे हैदर के माथ या निज़ाम के साथ मिलने न पायें।"* गंगा के उत्तर में कुछ इलाको यर उस समय तक मराठों का कब्जा हो चुका था और मिल के इतिहास से पता चलता है कि सन् १७७३ में यदि आपसो घरेलू झगड़े मराठों को बाहर जाने से न रोकते, नो वे इलाहाबाद, कड़ा, अवध और रुहेलखण्ड पर हमला करने वाले थे। ___ इस तरह कम्पनो की उस समय की नीति के तीनों पहलू महत्व पूर्ण और साफ़ थे। मॉस्टिन ने पूना पहुँच कर बड़ी होशिशरी के साथ अपना ___ काम शुरू किया। स्वार्थान्ध राघोबा से उसे इस नाना फडनवीस - काम में पूरी मदद मिली। किन्तु पेशवा दरबार की दूरदर्शिता में उस समय एक और दूरदर्शी नीतिज्ञ मौजूद था,

  • "Ir Moster was sent to Poona lis the lioni bay Government, for th

purpose of . ing errer endeat our, br tomenting domestic dissen 1015 or otherwise. to present the Jarhatir from Jointly Hyder or Vizar Ally "- (irant Dutt, History of the interhartas, p 30 + ]l's History of British indiap 221