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भारत में अंगरेज़ी राज

२६२ भारत में अंगरेजी राज विषय में मुकदमा चलाया गया। सुप्रसिद्ध विद्वान एडमण्ड वर्क ने अपनी अमर वक्ताओं में कम्पनी ओर वारन हेस्टिंग्स के उन दिनों के कलुषित कृत्यों की खूब पोल खोली । इन वक्ताओं का पढ़ना ब्रिटिश भारतीय इतिहास के प्रत्येक विद्यार्थी के लिए आवश्यक है। सात माल तक मुकदमा चलता रहा, किन्तु वास्तव में इंगलिस्तान के सामने प्रश्न न्याय अन्याय का न था। प्रश्न था अंग- रंज कौम के हित और अंगरेज़ कौम के राज का । वारन हेस्टिंग्स ने जो कुछ किया था, अपनी काम के हित के लिए और भारत में अंगरेजी राज को मजबूत करने के लिए किया था। इसलिए अन्त में ब्रिटिश पार्लिमेण्ट ने उस सब इलज़ामों से साफ़ बरी कर दिया। इस तमाम मुकदमे में वारन हेस्टिंग्स के करीब १० लाख रुपए खर्च हुए, जो निस्सन्देह उसकी भारत की कमाई का केवल एक हिस्सा था । कम्पनी के मालिकों ने फौरन हरजाने के तौर पर आइन्दा २८ साल तक के लिए चालीस हजार रुपए सालाना वारन हेस्टिंग्स को देने का वादा किया, जिसमें से अधिकांश उन्होंने उसी समय पेशगी अदा कर दिया। हेस्टिंग्स इससे कई गुना अधिक कम्पनी को लाभ पहुँचा चुका था। सर एलाइजाह इम्पे पर भी "रिशवते लेने, अन्याय करने, झूठी गवाहियाँ बनाने, झूठे हलफनामे तसदीक करने"* इत्यादि का

  • C1055 Corruption, Positive injustice,

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