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भारत में अंगरेज़ी राज

२७ भारत में अगरेजी राज पैदावार पर फूलते फलते थे। उनको संख्या पाँच लाख से ऊपर अनुमान की जाती थी।"* किन्तु महाराजा बनारस आस पास के राजाओं में सबसे अधिक धनवान मशहूर था। सन् १७७६ में अवध के नवाब ने बनारस का इलाका कम्पनी के नाम कर दिया । कम्पनी ने अपनी ओर से एक नई सनद जारी करके बलवन्तसिंह के पुत्र चेतसिंह को पिता के तमाम अधिकार दे दिए । एक अंगरेज़ रेजीडेन्ट बनारस के दरबार में रहने लगा और महाराजा चेतसिंह की शुमार अंगरेज़ कम्पनी के मित्रों में होने लगी। अंगरेजों और फ्रांसीसियों में लड़ाई छिड़ी। वारन हेस्टिंग्स ने महाराजा चेतसिंह को पाँच लाख रुपए सालाना धारन हेस्टिंग्स की खर्च पर अपने यहाँ तीन पलटने रखने का हुकुम महाराजा बनारस

  • दिया। चेतसिंह की प्रजा उससे सन्तुष्ट थी।

से छेड छाड़ उसे इस सेना की कोई ज़रूरत न थी। पाँच लाख सालाना का खर्च भी उसके लिए बहुत अधिक था। उसने एतराज़ किया, किन्तु कोई सुनाई न हुई। अन्त में उसे वारन हेस्टिंग्स की आज्ञा माननी पड़ी। तारीफ यह कि इन पलटनों के " Bulwant Singh was an excellent ruler his people were Happy, snd the country prosperous, the peasantry fearless of anjust eraction or personal wrong, cultivated their fields like gardens, and throve on the fruits of their unwearned industry Their numbers were estimated at more than thalf a million, "-Torrens' Empartm Asia, p 124