पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/५१३

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वारन हेस्टिंग्स

बारन हेस्टिंग्स "लॉर्ड" की उपाधि दी गई । उसी क्लाइव के उत्तराधिकारी के समय में एक स्वतन्त्र भारतीय शासक को जालसाज़ी के झूठे इलज़ाम में फाँसी पर लटका दिया गया ! वारन हेस्टिंग्स ३ साल गवरनर और १०साल गवरनर जनरल रहा। उसका सारा शासन काल भारतीय प्रजा और भारतीय नरेशों के साथ घोरतम अन्यायों से भरा हुआ था। मराठों और हैदरअली के साथ उसकी लड़ाइयों का ज़िक्र दूसरे अभ्यायों में किया जायगा। बंगाल और उत्तरीय भारत के उसके समस्त अत्याचारों को वयान कर सकना भी इस पुस्तक में असम्भव है। इसलिए उसके उत्तरीय भारत के केवल दो और ज्वलन्त कृत्यों को यहाँ पर संक्षेप में बयान किया जाता है। इनमें पहली घटना वनारस की है। बनारस की समृद्ध रियासत उस समय अवध के नवाब के अधीन थी, किन्तु बनारस का समृद्ध अवध के नवाब वनारस के महाराजा से अपना रियासत मामूली वार्षिक खिराज वसूल कर लेने के अलावा और किसी तरह का हस्तक्षेप उस रियासत के आंतरिक शासन मे न करते थे। इतिहास लेखक टॉरेन्स लिखता है- “वनारस का महाराजा बलवन्तसिंह बड़ा अच्छा शासक था। Y Y x उसकी प्रजा सुखी थी और देश खुशहाल था।xxx किसानों को न वेजा माँग का डर रहता था और न किसी तरह की ज़बरदस्ती का। वे अपने खेतों को बागों की तरह जोतते थे और अपने अथक परिश्रम की