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भारत में अंगरेज़ी राज

२४० भारत में अंगरेजी राज देता । अन्त में ये रकम जमा करके उस अंगरेज़ को दे दी जाती थीं। वारन हेस्टिंग्स के समय में हिन्दोस्तान के अन्दर कम्पनी का इलाका नही बढ़ा । फिर भी वारन हेस्टिंग्स का शासन काल ब्रिटिश भारत के इतिहास में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण माना जाता है । क्लाइव ने इस देश के अन्दर अंगरेजी शासन की जो बुनियाद डाली थी, वारन हेस्टिग्स ने भारत की राज शक्तियों को और अधिक कमजोर करके उस बुनियाद को पक्का कर दिया। मालूम होता है कि इस समय तक अंगरेज भारतीय शासन का सब कारबार सीख चुके थे। वारन हेस्टिंग्स ने सबसे पहला काम यह किया कि क्लाइव की कायम की हुई दो-अमली का अन्त करने के लिए उसने मोहम्मद रजा खाँ और शितावराय दोनों नायबों पर गवन और खयानत के इलज़ाम लगाकर उन्हें कैद कर लिया। मोहम्मद रजा ख़ाँ को फंसाने के लिए वारन हेस्टिंग्स ने राजा नन्द- कुमार को अपनी ओर फोड़ा ! नन्दकुमार को यह लालच दिया गया कि रजा खाँ की जगह तुम्हे बंगाल का नायब बना दिया जावेगा। इस लालच में आकर नन्दकुमार ने मोहम्मद रजा खाँ को दोषी साबित करने में अंगरेजों को काफी मदद दी । “सीअरुल- मुताख़रीन" में लिखा है कि महाराजा शिताबराय को भी धोखा देकर गिरफ्तार किया गया। कलकत्ते लाकर इन दोनों हिन्दोस्तानी शासकों के मुकदमों की

  • Sur, vol ul, P? 65, 66, Calcutta Reprent