मीर जाफर की मृत्यु के बाद २१६ नए नवाब ने महाराजा नन्दकुमार को अपना दोवान नियुक्त करना चाहा। अंगरेज़ नन्दकुमार से काफी नन्दकुमार की सावधान हो चुके थे। उन्होंने इजाज़त न दी गिरफ्तारी और नवाब पर उसको बेबसी प्रकट कर देने के लिए वे महाराजा नन्दकुमार को कैद करके ज़बरदस्ती मुर्शिदाबाद से कलकत्त ले पाए। कम्पनी का कारबार अब काफी बढ गया था। उसकी आकां- क्षाएँ बहुत ऊँची हो गई थीं। अपने कारवार की क्लाइव का दाबाग ठीक व्यवस्था करने और इन आकांक्षाओं को भारत आना " पूरा करने के लिए डाइरेक्टरों ने क्लाइव को, जो अब 'लॉर्ड क्लाइव' था, दोबारा भारत भेजना आवश्यक समझा। क्लाइव फिर एक बार 'फोर्ट विलियम का गबग्नर नियुक्त हुआ। जिस समय क्लाइव इंगलिस्तान में कलकत्ते पा रहा था, मद्रास में उसने मीर जाफ़र की मृत्यु का समाचार सुना । उसका खास उद्देश इस समय बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी के अधि- कार शाह आलम सं प्राप्त करना था। इतिहास लेखक हीलर लिखता है :- "मीर जाफ़र की मृत्यु की खबर सुनकर क्लाइव बहुत खुश हुआ। वह अब बंगाल प्रान्तों के राज शासन मे उस नई पद्धति को जारी करने के लिए उत्सुक था, जिसका सात साल से अधिक हुए वह इंगलिस्तान के प्रधान मन्त्री पिट से ज़िक्र कर चुका था । वह चाहता था कि एक ऐसे नए आदमी को नवाब बना दिया जाय जो केवल शून्य मात्र हो, सारा शासन प्रबन्ध
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मीर जाफर की मृत्यु के बाद