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भारत में अंगरेज़ी राज

२१२ भारत मे अंगरेजी राज किए जायें । इस पर भी शुजाउद्दौला और अंगरेजों में इस समय सुलह न हो सकी। मालूम होता है कि सम्राट बक्सर से इलाहाबाद की ओर चला दिया । शुजाउद्दौला फिर से मुकाबला करने की तैयारी के इरादे से पीछे हटा और अंगरेज शुजाउद्दौला का पीछा करने के लिए आगे बढ़े। मार्ग में अंगरेजों ने चुनार के किले का मोहासरा किया। “सीअरुल-मुताख़रीन" में लिखा है कि अंगरेज़ चुनारगढ़ में सेनापति ने कम्पनी के नाम सम्राट का एक अंगरेजों की हार दस्तखती परवाना किलेदार मोहम्मद बशीर खाँ के सामने पेश किया, किन्तु किले के भीतर की भारतीय सेना ने इस परवाने की खाक परवा न की। इस सेना ने जब यह देखा कि हमारा किलेदार भी डाँवाडोल हो रहा है तो उन्होंने उसे किले से बाहर निकाल कर उस सड़क पर छोड़ दिया, जो नवाब शुजाउद्दौला के खेमों की ओर जाती थी और स्वयं वीरता के साथ विदेशियों से किले की रक्षा शुरू की। अंगरेजों ने अपनी तोपें सामने की। कई दिन की गोलेवारी के बाद वे केवल किले की दीवार का एक थोड़ा सा टुकड़ा गिरा पाए, किन्तु ज्योंही एक दिन अँधेरी रात में अंगरेजी सेना ने इस रास्ते से किले के भीतर प्रवेश करना चाहा, भीतर की भारतीय सेना ने अपनी बन्दूकों से उनमें से अधिकांश का वही दीवार के ऊपर काम तमाम कर दिया। लाचार होकर और बुरी तरह हार कर अंगरेजों को चुनार का मोहासरा छोर,